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Exclusive: अभिषेक बच्चन ने बताया- क्‍यों छोड़ी ”पलटन”

दो साल के अंतराल के बाद अभिषेक बच्चन फिल्म ‘मनमर्ज़ियाँ’ से रुपहले परदे पर वापसी कर रहे हैं. उनकी प्राथमिकता चुनौतीपूर्ण किरदार और फिल्में होगी. जो आसानी से वह परदे पर कर सकते हैं उन्हें वैसी फिल्मों से अब जुडना नहीं है. ‘मनमर्ज़ियाँ’ में अभिषेक बच्‍चन के साथ तापसी पन्‍नू और विक्की कौशल भी नजर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2018 12:49 PM

दो साल के अंतराल के बाद अभिषेक बच्चन फिल्म ‘मनमर्ज़ियाँ’ से रुपहले परदे पर वापसी कर रहे हैं. उनकी प्राथमिकता चुनौतीपूर्ण किरदार और फिल्में होगी. जो आसानी से वह परदे पर कर सकते हैं उन्हें वैसी फिल्मों से अब जुडना नहीं है. ‘मनमर्ज़ियाँ’ में अभिषेक बच्‍चन के साथ तापसी पन्‍नू और विक्की कौशल भी नजर आनेवाले हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

‘मनमर्ज़ियाँ’ में आपको क्या खास लगा और फिल्म का अनुभव कैसा रहा ?

इस फिल्म के लिए मुङो सबसे ज्यादा अपीलिंग अनुराग कश्यप लगें. अनुराग कश्यप और लवस्टोरी फिल्म . ये सुनकर ही अजीब लगता है. जिस तरह की फिल्मों से उनका नाम अब तक जुड़ा रहा है. उससे लवस्टोरी का दूर दूर तक कुछ लेना देना नहीं रहा है. ये उनकी पहली लवस्टोरी है. निश्चिततौर रुप से उसका ट्रीटमेंट वह अलग ही देंगे. यह बात मुझे अपीलिंग लगी. जहां तक अनुभव की बात है. बहुत ही अच्छा अनुभव मेरे लिए रहा है. इस फिल्म के साथ जितने लोग भी जुड़े हैं. उनके साथ मैं पहली बार काम कर रहा हूं फिर चाहे वह अनुराग कश्यप हो या आनंद एल राय या फिर तापसी पन्नू और विक्की कौशल .

आपके करियर की शुरुआत ‘रिफ्यूजी’ से की थी. वह एक रोमांटिक फिल्म थी. अब परदे पर कितना रोमांस बदला है ?

प्यार और प्यार की परिभाषा बदलते समय के साथ काफी बदली है. जब मैंने अपनी पहली फिल्म रिफ्यूजी की थी. उस वक्त प्यार बहुत ही मासूम, शर्मिला और भोला भाला वाला हुआ करता था. अब की फिल्मों में प्यार छिपाने में नहीं बल्कि प्यार दिखाने में यकीन करते हैं इसलिए फिल्में भी बदली हैं. मनमजियां आज की लवस्टोरी है.

इस फिल्म की शूटिंग अमृतसर के रियल लोकेशंस पर हुई है कैसा अनुभव था ?

हमें ज्यादा समय नहीं मिला क्योंकि शूटिंग में हम मशरुफ थे. हां हमारी शूटिंग गोल्डन टेंपल के आसपास होती थी इसलिए हम वहां अक्सर चले जाते थे वहां का कड़ा प्रसाद खाने. पंजाब में हैं तो लस्सी पिएंगे ही. आहूजा लस्सी में हमने शूटिंग भी की. वहां हमने जमकर लस्सी पी. मैं और अनुराग रात में चुपचाप ढाबे पर खाना खाने भी चले जाते थे लेकिन हकीकत यही है कि हम एक्टर अलग अलग जगहों पर शूटिंग करने के बावजूद वह चीजें एक्सप्लोर नहीं कर पाते हैं. जो एक आम आदमी कर सकता है. ट्रेव्हिलंग आपके सोच के दायरे बढ़ाता है.वहां का कल्चर खानपान बहुत कुछ बहुत सारे बातें सीखा देता है लेकिन हम एक्टर्स को कई बार दायरे में रहकर चीजों को इंज्वॉय करना पड़ता है लेकिन ठीक है स्टारडम की कुछ तो कुर्बानी आपको देनी ही होगी.

तापसी पन्नू और विक्की कौशल के साथ शूटिंग का अनुभव कैसा रहा ?

तापसी ने इस फिल्म में जो किरदार किया है. वो कोई और कर ही नहीं सकता था. विक्की ने भी बहुत अच्छा काम किया है. आज के एक्टर्स की खासियत ही यही है कि आपको लगता ही नहीें कि वो एक्टिंग नहीं कर रहे हैं. बहुत ही नेचुरल से लगते हैं. समर्पित, फोक्स्ड, प्रोफेशनल और किसी भी चीज से प्रभावित नहीं.

खबरें हैं कि तैमूर को बोडिंग स्कूल भेजने की तैयारी हैं क्या अराध्या को लेकर भी आप सोच रहे हैं ?

बोडिंग स्कूल के लिए वह अभी बहुत छोटी है. हमारे दूर दूर के ख्याल में भी ऐसा नहीं है. वैसे अराध्या बहुत ही अच्छी बच्ची है. सभी लोगों की शिकायत होती हैं कि उनके बच्चे फोन और कंप्यूटर से छोटी उम्र में जुड़ जाते हैं. अराध्या के साथ ऐसा कुछ नहीं है. मैं जब बोडिंग स्कूल में था तो अपने माता पिता को वहां से चिठ्ठियां लिखा करता था. अराध्या मेरे लिए नोट्स लिखती है. आज टेक्नॉलाजी की वजह से चीजें आसान हो गयी हैं. मैं जब भी शूटिंग पर होता हूं तो उससे फेशटाइम के जरिए बात कर लेता हूं. मेरी कबड्डी टीम की वजह से उसे कबड्डी खेल से लगाव हो गया है. मैं थोड़ा बहुत उसके साथ कबड्डी खेलता हूं.

क्या आपको लगता है कि अराध्या आप पर गयी है, बचपन में आप कैसे थे ?

बिल्कुल भी नहीं. मैं बहुत हाइपर बच्चा था. भागदौड और मस्ती बहुत करता था. मेरी मां तो आज भी बोलती है कि तुम बहुत शरारती थे. वह इतना परेशान हो जाती थी कि डांट की जगह कभी कभी हाथ का भी उनको इस्तेमाल कर लेती थी. ( हंसते हुए) वो अलग बात है कि थोड़े ही समय बात मैं उनकी पहुंच से बाहर हो गया. लंबा जो हो गया था. पापा बहुत फ्रेंडली थे. मारना तो बहुत दूर की बात है. डांटा भी उन्होंने कभी नहीं था. उनका गुस्सा जाहिर करने की उनका एक लुक ही काफी होता था और मैं समझ जाता था.

अराध्या बडी हो रही है ऐसे में पेरेटिंग से जुड़ी जिम्मेदारियां कितनी बढ़ गयी हैं ?

ऐश्वर्या वन वूमन आर्मी है. वह अराध्या का पूरा ख्याल रखती है. मैं किसी चीज में मदद के लिए हाथ बढ़ाता हूं तो वह कहती हैं कि वह तो हो गया. वह बेस्ट है. जहां तक पेरेटिंग की जिम्मेदारियों की बात हैं तो मुङो लगता है कि आजकल के बच्चे बहुत जल्दी बडे और मैच्योर हो जाते हैं. यह एक प्रोसेस है. इसके लिए आपको खुद को तैयार नहीं कर सकते हैं बल्कि यह एक सीखने वाला अनुभव है. जिसे आप समय के साथ ही सीखते हैं

एक्टर के तौर पर आपका अब क्या लक्ष्य है. आपने फिल्मों से दो सालों से अंतराल लिया था क्या यह ब्रेक आपने सोच समझकर लिया था?

-अच्छा काम करना है और अपने प्रशंसकों का मनोरंजन करना . हां मैंने ब्रेक सोच समझकर लिया था मेरे पास बहुत सारा काम था. फिल्में चल रही थी लेकिन वह कोई चुनौती मेरे सामने नहीं ला रही थी. बस ऐसे लगता था कि कल शूटिंग हैं . कल शूटिंग पर जाना है. मुङो लगा कि एक एक्टर के तौर पर मुङो खुद को चैलेंज करना चाहिए कि कल अगर मेरी शूटिंग हो तो मैं रात को सोचूं कि मैं कैसे वो सीन कर पाऊंगा. जब चीजें आसानी से हो रही हैं तो मतलब आप एक्टर के तौर पर चुनौतियां नहीं ले रहे हैं खुद को पुश नहीं कर रहे हैं. मुङो समझ आया कि एक एक्टर के तौर पर मैं गलत दिशा में जा रहा हूं. मुङो अब खुद को रोकना चाहिए. खुद को फिर से मूल्यांकन कर. एक नयी शुरुआत करनी चाहिए. जहां फिल्में एक एक्टर के तौर पर मेरे सामने चुनौती लाएं.

क्या पलटन छोडने की वजह भी यही थी कि वह फिल्म एक एक्टर के तौर पर आपको चुनौती नहीं दे रही थी ?

पलटन के साथ ऐसा कुछ नहीं था. मैंने निजी कारणों की वजह से वह फिल्म छोड़ी थी. मैं चाहता था कि मैं पलटन का हिस्सा बनूं. मैं जेपी साहब की बहुत इज्जत करता हूं. वह मेरे लिए मेरे परिवार की तरह हैं. उ्न्होंने ही इंडस्ट्री में मुझे लांच किया था. पलटन का ट्रेलर मैंने देखा. मुङो फिल्म बहुत पसंद आयी है. उम्मीद है कि फिल्म भी बहुत बेहतरीन होगी.

खुद को रिलैक्स करने के लिए क्या करना पसंद करते हैं ?

मुझे फिल्में देखना पसंद हैं. मैं और ऐश्वर्या रात में फिल्में देखते हैं. हर तरह की फिल्में देखते हैं. हां हॉरर फिल्मों से मैं बचता हूं. मैं हॉरर फिल्मों में एक्टिंग कर सकता हूं लेकिन एक दर्शक के तौर पर मैं ज्यादा उस जॉनर को इंज्वॉय नहीं कर पाता हूं. (हंसते हुए) डर ज्यादा लगता है.

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