II उर्मिला कोरी II
फ़िल्म: मित्रों
निर्देशक: नितिन कक्कड़
कलाकार: जैकी भगनानी,कृतिका कामरा,प्रतीक गांधी, शिवम पारिख,प्रतीक बब्बर और अन्य
रेटिंग: तीन
‘फिल्मिस्तान’ के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके निर्देशक नितिन कक्कड़ की यह फ़िल्म साउथ फ़िल्म पेली चोपुलु का हिंदी रीमेक है. नितिन कक्कड़ ने इस फ़िल्म का बैकड्रॉप गुजरात में स्थापित किया है. फ़िल्म की कहानी जय (जैकी भगनानी) की है वो अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुका है लेकिन उसे 9 से 5 बजे वाली जॉब नहीं करनी है. उसे क्या करना है उसे पता नहीं है. वह बस जिम्मेदारी से भाग रहा है. पिता को लगता है कि शादी के बाद शायद जय अपनी जिम्मेदारियों को समझेगा.
उसके पिता उसके लिए लड़की तलाशने लगते हैं. गलती से वह एक गलत पते पर लड़की देखने पहुँच जाते हैं जहां उनकी मुलाकात अवनि(कृतिका कामरा) से होती है. अवनि महत्वाकांक्षी लड़की है.
अवनि को ज़िन्दगी में क्या करना है उसे पता है. वह अपने एक्स प्रेमी (प्रतीक बब्बर) के साथ मिलकर एक फ़ूड ट्रक शुरू करना चाहती है लेकिन वह ऐसा कुछ कर पाती इससे पहले उसका प्रेमी दहेज के लालच में आकर अवनि को छोड़कर किसी और से शादी कर लेता है. अवनि के घर वाले अब बस उसकी शादी करा देना चाहते हैं. इसी वजह से जय से अवनि मिलता है.
अवनि और जय की मुलाकात से कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं. अब अवनि जय के साथ मिलकर फ़ूड ट्रक शुरू करती है जो चल पड़ता है. आपको लगता है कि अब बस जय और अवनि को एक दूसरे से प्यार हो जाएगा तो ऐसा नहीं जय को किसी दूसरी लड़की से प्यार है. इन सबसे क्या होगा. इसके लिए आपको सिनेमाघर की तरफ रुख करना होगा.
फ़िल्म की कहानी बहुत ही हल्की फुल्के अंदाज़ में कही गयी है. फ़िल्म में एक अहम किरदार गुजराती माहौल भी है लेकिन अब तक कि बॉलीवुड फिल्मों से इतर उसे दिखाया गया हैं. फ़िल्म की कहानी में यह संदेश भी है कि किसी दूसरे के व्यवसाय के लिए चूहा दौड़ में शामिल होने से अच्छा खुद का व्यवसाय शुरू करना है.
शारिब हाशमी का स्क्रीनप्ले एंटरटेनिंग और एंगेजिंग है. फ़िल्म में फ्लैशबैक को काफी मज़ेदार ढंग से पेश किया गया है. फ़िल्म का सेकंड हाफ कमज़ोर रह गया है. उस पर थोड़ा और काम करने की ज़रूरत थी.
अभिनय की बात करें तो जैकी भगनानी तीन साल बाद परदे पर दिखे हैं. यह उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ अभिनय है. अभिनय हो या उनके किरदार की भाषा उन्होंने सबकुछ आत्मसात कर लिया है. टीवी अभिनेत्री कृतिका की यह पहली फ़िल्म है. वह पूरे आत्मविश्वास के साथ परदे पर दिखी हैं. परदे पर आर्कषक दिखने के साथ साथ उन्होंने अपने अभिनय की क्षमता भी साबित की है खासकर फ़िल्म के सेकंड हाफ में.
प्रतीक बब्बर का काम भी अच्छा रहा है लेकिन सबसे ज़्यादा प्रभावित प्रतीक गांधी रौनक के किरदार में करते हैं. उनका वन लाइनर्स और एक्ट थिएटर से निकलने के बाद भी याद रह जाता है बाकी के कलाकारों का काम कहानी के अनुरूप है. फ़िल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है।फ़िल्म के संवाद अच्छा बन पड़ा है.
कुलमिलाकर कुछ खामियों के बावजूद मित्रों एक फील गुड़ वाली फिल्म है जिसे सिर्फ मित्रों ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है.