रांची : रांची के अपर बाजार इलाके में बड़ा हुआ छोटे शहर का लड़का टेलीविजन की दुनिया का तेनालीरामा बन गया है. कृष्णा भारद्वाज जो अब अपने नाम से कम और तेनालीरामा के नाम से ज्यादा जाने जाते हैं. रांची के डीएवी स्कूल और संत जेवियर से पढ़े कृष्णा को बड़े सपने बड़े शहर की तरफ खींच कर ले गये. साल 2004 में उन्होंने मुंबई का रुख किया और बड़े सपने को पूरा करने के लिए उससे भी बड़े संघर्ष को शिक्षक मानकर आगे बढ़ते रहे. टीवी की दुनिया के चालाक, बुद्धिमान और शातिर तेनालीरामा अपने शहर रांची में थे. प्रभात खबर डॉट कॉम ने उनसे बातचीत की.
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रांची के अपर बाजार का लड़का है टीवी का तेनालीरामा, देखें वीडियो
रांची : रांची के अपर बाजार इलाके में बड़ा हुआ छोटे शहर का लड़का टेलीविजन की दुनिया का तेनालीरामा बन गया है. कृष्णा भारद्वाज जो अब अपने नाम से कम और तेनालीरामा के नाम से ज्यादा जाने जाते हैं. रांची के डीएवी स्कूल और संत जेवियर से पढ़े कृष्णा को बड़े सपने बड़े शहर की […]
कृष्णा अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं, मैं 9 हजार रूपये लेकर मुंबई गया था. वहां एक्टिंग सीखी. कोर्स खत्म होने के बाद वही टीचर की नौकरी मिल गयी. कुछ दिनों के बाद मुझे विवेक ओबरॉय के साथ काम करने का मौका मिला. मैं खुश था, मैंने अपने कई रिश्तेदारों को बताया कि जल्द मैं विवेक ओबरॉय के साथ नजर आऊंगा. सभी उस विज्ञापन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन महीनों इंतजार केबाद बाद जब उस प्रोडक्ट का विज्ञापन रिलीज हुआ, तो उसमें सिर्फ मेरे पैर दिख रहे थे.
मुझे इस काम के लिए दस हजार रूपये मिले थे. लंबी शुटिंग हुई थी लेकिन मैं दिख नहीं रहा था. यह मेरा पहला अनुभव था. इसके बाद मैंने कई टीवी शो में काम किया. मुझे पहचान मिली "तेनालीरामा" से. जिस वक्त मुझे यह शो ऑफर हुआ था उस वक्त "सब टीवी " रिलांच हो रहा था. "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" के अलावा कोई भी शो ज्यादा दिनों तक नहीं चलता था . ईश्वर की कृपा है कि मेरा शो 350 एपिसोड तक बन चुका है. इस शो से मुझे लोग जानने लगे हैं. मैंने गुजराती फिल्मों में भी काम किया मेरी फिल्म "चल मन जीतवा जइए" हिट रही है. मैं तेनालीरामा के साथ कॉट्रेक्ट में था इसलिए मैं कोई और काम नहीं कर सका लेकिन अब मैं दूसरी तरफ भी ध्यान दे रहा हूं परसो ही मुझे एक फिल्म का ऑफर आया है. मेरी गुजराती फिल्म का दूसरा पार्ट फिल्माया जाना है.
तेनालीरामा बनने से पहले भी कृष्णा का रिश्ता अभिनय के क्षेत्र से रहा है. उनके पिता अनिकेत भारद्वाज कला से जुड़े हैं. कृष्णा अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं मैंने कला के क्षेत्र से जुड़े कई लोगों के साथ काम किया है. "सुशील अंकन "उनमें से एक हैं जिनके घर पर मैंने काफी वक्त बिताया है. रांची शहर के कई लड़के मुंबई में अच्छा कर रहे हैं. कई लोग मिलते हैं जो अपने शहर के हैं मेरे मेकअप मैंने हैदर रांची के हिंदपीढ़ी इलाके से हैं.
तेनालीराम के रूप में अपनी पहचान बना चुके कृष्णा प्रभात खबर डॉट कॉम के जरिये उन युवाओं को संबोधित को भी संबोधित करते हैं जो सपने देखते हैं और उसे पूरा करने की कोशिश में लगे हैं,- अपने सपनो का पीछा करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए. आपके रिश्तेदार आपको रोकेंगे लेकिन आप जो करना चाहते हैं उस तरफ बढ़ते रहिये सभी के जीवन में संघर्ष है चाहे कोई किसी भी क्षेत्र में जाना चाहता हो. शाहरुख खान की एक फिल्म का डॉयलॉग है अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है.
कृष्णा भारद्वाज की सफलता में उनके परिवार का भी पूरा सहयोग है. मां गीता भारद्वाज अपने बेटे के इस सपने को पूरा करने में हमेशा सबसे आगे रहीं. हमसे बातचीत में उन्होंने बताया कि मेरे बेटे में कुछ अलग था. मैं जानती थी कि वह कुछ न कुछ अच्छा जरूर करेगा. कृष्णा के पिता उसे मुंबई नहीं भेजना चाहते थे. उन्हें लगता था कि मुंबई में बहुत सारे लोग हैं जो सालों से संघर्ष कर रहे हैं उनमें से एक कृष्णा भी हो वह नहीं चाहते थे लेकिन मुझे विश्वास था. एक वक्त था जब कृष्णा के पास काम नहीं था. उसने कभी हमसे ज्यादा पैसे नहीं मांगे कभी जरूरत पड़ी तो हमने मदद की लेकिन कृष्णा काम ढुढ़ लेता था. आज उसने अपनी मेहनत से मेरे विश्वास को सच कर दिखाया है. उसने जाते वक्त ही कहा था मां एक दिन मैं आपको प्लेन में बिठाऊंगा उसकी फिल्म देखने हम सभी मुंबई गये थे.
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