बॉलीवुड अभिनेत्री नीना गुप्ता फ़िल्म ‘बधाई हो’ में अहम भूमिका में हैं. नीना गुप्ता कहती हैं कि अगर वह आज के दौर की अभिनेत्री होती तो उनका कैरियर बहुत अच्छा होता था क्योंकि आज तीखे नैन नक्श, गोरा रंग अभिनेत्री के लिए नहीं चाहिए. साधारण शक्ल-सूरत वाली लड़कियां भी अभिनेत्री बन सकती हैं बस प्रतिभा ज़रूरी है और सबसे अहम किसी की निजी जिंदगी के फैसलों की वजह से उसे जज नहीं किया जाता है.
फिल्म में आयुष्मान खुरान और सान्या मल्होत्रा मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है जिसे दर्शकों ने पॉजिटिव रिस्पांस मिल रहा है. उर्मिला कोरी से नीना गुप्ता से हुई बातचीत के अंश…
‘मुल्क’ के बाद अब ‘बधाई हो’ दो साल पहले आपने सोशल मीडिया पर अपने लिए काम मांगा था क्या आपको लगता है कि उसकी वजह से फर्क पड़ा ?
हां उससे बहुत फर्क पड़ा था. मुल्क उसके बाद ही मिली थी और अब बधाई हो. इस फिल्म में तो बहुत ही अहम किरदार है मेरा.कहानी की धुरी मुझ पर ही है. बहुत ही अलग सा विषय है. बडी उम्र में मां बाप बनना. मुझे लगता है कि छोटे शहरों में आज भी ये होता है. यह फिल्म उम्रदराज लोगों को भी प्यार करने का हक देती है. इस फिल्म के बाद यशराज बैनर की संदीप पिंकी फरार में दिखूंगी. मेरा और रघुबीर यादव का फिल्म में बहुत अच्छा ट्रैक है. मैंने एक और फिल्म की है लास्ट कलर. जिसमे मैं लीड हूं. एक और फिल्म की शूटिंग जल्द ही करने वाली हूं मीठा पान. उसमे भी मेरी मुख्य भूमिका होगी. मीठा पान में तो मैं जैसी रियल लाइफ में हूं वैसा ही किरदार भी है.
इस फेज को किस तरह से इंज्वॉय कर रही हैं ?
मैंने नोटिस किया है कि मुङो एक्टिंग करके बहुत खुशी होती है. जितना काम आप करते हैं उतना ही तराशे जाते हो. हर बार मैं कुछ न कुछ सीखती हूं. मेरे पति ने मुझे कहा था कि अक्टूबर में हमें किसी फैमिली फंक्शन की वजह से भारत से बाहर जाना होगा. मैंने उनसे कहा कि आप चले जाइए. मैं यही रहना चाहूंगी. मेरी फिल्म रिलीज हो रही है. मैं उसके हर पल को पूरी तरह से जीना चाहती हूं.
क्या आपने सिर्फ पैसों के लिए भी फिल्में की हैं ?
बहुत ज्यादा. सारी जिंदगी पैसों के लिए काम किया है ये कहूंगी तो गलत न होगा. कहां से बच्चा पाला है. वो भी अच्छे से उसको और खुद को रखा था. मैंने कितनी सारी फिल्में मैंने ऐसी की है. जो मैं चाहती थी कि भगवान ये रिलीज ही न हो. शर्म आती थी कि भगवान मेरे परिचित लोग देखेंगे तो क्या बोलेंगे. एक बार मुझे याद है मैं एक फिल्म कर रही थी जिसमे घर की नौकरानी का मेरा रोल था और मेन रोल शबाना का था. मेरा शबाना का सीन था मैं कुछ पका रही थी. सीन के बाद शबाना ने मुझसे कहा कि तुम क्यों ये रोल कर रही हो. ऐसे रोल मत किया करो. उसके बाद तो मैं उस फिल्म के लिए भगवान से और ज्यादा प्रार्थना करने लगी और भगवान ने सुन ली और फिल्म बनी ही नहीं. अब मैं पैसों के लिए फ़िल्म नहीं कर रही. मेरी पति के पास अच्छे पैसे हैं तो जो प्रोजेक्ट मुझे उत्साहित करता है मैं उससे जुड़ जाती हूं.
एक आर्टिस्ट के तौर पर क्या अपने कैरियर में कोई अफसोस है ?
बहुत सारे हैं. मैं समझी नहीं फिल्में एक बिजनेस है और बिजनेस के कुछ नियम होते हैं. मेरी रियल लाइफ इमेज की वजह से मुझे बहुत सारे नुकसान हुए. मुझे निगेटिव रोल मिलने लगे थे. उस वक्त में जो स्ट्रांग वूमन का मतलब निगेटिव था. उस वक्त अच्छे रोल बेचारी औरतों के लिए लिखे जा रहे थे और मुझे बेचारी का रोल कभी मिला ही नहीं. कोई मेरा पीआर करने को नहीं आया. तरीका नहीं आया कि कैसे निर्देशकों निर्माताओं से मिलते हैं सिर्फ श्याम बेनेगल तक पहुंच पाए. उस वक्त वहां भी शबाना स्मिता और दीप्ति थे तो कोई बहुत यादगार रोल मिला ही नहीं. टीवी में फिर मैंने दबाकर काम किया. हर तरह का किरदार निभाया.
आप टीवी पर सांस और बुनियाद जैसे शो से जुडी हुई थी क्या आप फिर से वैसा कुछ शो नहीं लाना चाहती हूं ?
मेरे पास उस तरह के ही एक शो की एक पूरी स्क्रिप्ट तैयार है लेकिन कोई चैनल ले नहीं रहा है. मिलेगा कभी न कभी. मैं कहती हूं कि मेरे मरने से पहले कर दो. देखो शायद हो जाए.मुङो लग रहा है कि समय आ रहा है. काफी सारे प्रोग्राम फ्लॉप हो रहे हैं. रियलिस्टिक ड्रामा लोगों को फिर से अपील कर जाए.
लाइफ के इस फेज में भी क्या आपको लगता है कि कुछ सीखना बाकी रह गया है और क्या कुछ सीख रही हैं ?
मैं म्यूजिक सीख रही हूं. दो साल से सीख रही हूं. मैं साल्सा डांसिंग सीखना चाहती हूं. जब गोवा जाती हूं तो साल्सा डांसर्स को देखकर बहुत अच्छा लगता है लेकिन उसमे घुटनों पर बहुत ज्यादा जोर देना पड़ता है. पता नहीं है कि मैं कर पाऊंगी या नहीं लेकिन मैं कोशिश जरुर करुंगी. मैंने कैरियर के शुरुआत में ही कथक डांस सीखा था. डांस और म्यूजिक से मुझे हमेशा से लगाव रहा था. वही मेरी बेटी मसाबा में भी आया है. वह बहुत अच्छी डांसर और सिंगर है.
क्या मसाबा कभी आपकी तरह एक्टिंग नहीं करना चाहती थी ?
हां वो चाहती थी कि वो एक्ट्रेस बनें लेकिन मैं चाहती थी कि वो सिंगर और डांसर. एक्टिंग को लेकर मैंने उसको समझाया कि उसकी शक्ल की वजह से उसे रोल यहां मिलने से रहे . इक्का दुक्का फिल्म ही मिलेगी क्योंकि उसका फेस भारतीय नहीं है. मैंने कहा था कि एक्टिंग करना ही है तो विदेश जाओ. वहां एक्टिंग की पढ़ाई करो वहां पर मौका तलाशो. शुक्र है कि वह मेरी बात समझ गयी. वह फैशन डिजाइनिंग में बहुत अच्छा कर रही है.फैशन सेंस उसका मेरा एक सा ही है. उसके हर कपड़े की पहली मॉडल मैं ही होती हूं.
मसाबा की शादीशुदा जिंदगी में इन दिनों काफी उथल-पुथल मची हुई है ?
उसने मुझे बोला कि आप हम दोनों को छोड़ दो. हम आपस में निपट लेंगे. वो उनकी जिंदगी है दोनों अच्छे लोग हैं. जो एक मां के तौर पर मुझे जो राय देना था मैंने दे दिया अब वो मानेगी या नहीं पता नहीं. सुन लिया वही बहुत है वरना आज के बच्चे सुनते कहां है. शुरुआत में मसाबा की शादी टूटने को लेकर मैं बहुत ही परेशान थी फिर खुद को समझाया कि जो होना है वही होगा. मेरे सोचने से कुछ बदलेगा नहीं.
आपने जिंदगी में अपने फैसलों की वजह से बहुत ही स्ट्रांग महिला की छवि बनायी है. इसका श्रेय किसको जाता है ?
मेरी मां को इसका श्रेय था गांधीयन थी. खादी पहनती थी. मेरे नानाजी फ्रीडम फाइटर थे. मेरे मां कांग्रेस के लिए काम करती थी. हम भी जाते थे इलेक्शन टाइम में. वो खाने के लिए डिब्बे मिलते थे. वह बहुत ही आदर्शवादी थी. उस वजह से उनको जिंदगी में बहुत तकलीफ भी हुई लेकिन उन्होंने कभी सच्चई नहीं छोडी़. वह इमानदार नंबर वन थी. लोग अपने पैसे और ज्वेलरी उनके पास रखते थे. मेरे पिता बहुत ही प्रैक्टिकल इंसान थे तो मैंने अपने माता पिता दोनों से उनका बेस्ट लिया है. मैं इमानदार, आदर्शवादी होने के साथ साथ प्रैक्टिकल भी हूं सभी का अच्छा मिक्सर.
अक्सर लोग अपनी कामयाबी या नकामयाबी का श्रेय किस्मत को भी दे देते हैं आप कितना किस्मत को मानती हैं?
मानती नहीं थी लेकिन इस इंडस्ट्री में रहते हुए मानना पड़ा. सही समय पर सही जगह पर होना ये किस्मत ही करता है. मुझे याद है शेखर कपूर की पिक्चर थी ‘जोशीले’. उसमे मीनाक्षी का जो रोल था वो मैं करने वाली थी. मेरी कोई एक तस्वीर शेखर को बहुत पसंद आयी थी. शेखर ने कहा कि सभी भले ही तेरे खिलाफ होंगे लेकिन मैं तेरा नाम ही रखूंगा. उसने कहा कि मैं तुझे कॉल करुंगा. मैं सोची शेखर कॉल करेगा इसलिए दिल्ली चली गयी. ऐसा नहीं था कि इगो में मैं कॉल नहीं कर रही थी. मुझे लगा कि उसने बोला है तो मुझे नहीं करना चाहिए. कुछ महीने बाद जब मैं उससे मिली तो उसने कहा कि मैंने उसे काटेक्ट क्यों नहीं किया. उसे लगा कि मुझे रुचि नहीं थी क्या. मैं दिल्ली में थी इसलिए किसी पार्टी या गेट टुगेदर में भी उससे मिल नहीं पायी तो मेरा रोल मीनाक्षी को मिल गया.
आप हमेशा अपने रिश्तों और जिंदगी को लेकर मुखर रही हैं क्या ऑटोबायोग्राफी लिखने की प्लानिंग है ?
मैंने एक दो बार सोचा था. पब्लिशर्स से बात भी हो गयी थी लेकिन फिर मैंने महसूस किया कि मेरे जिंदगी से इतने सारे लोग जुड़ें हैं क्या मैं उनको बिना दुख पहुंचाए. सच लिख पाऊंगी. जवाब था नहीं. जब सच लिख ही नहीं पाऊंगी तो ऑटोबायोग्राफी लिखने का फायदा क्या है.