- फिल्म : सुई धागा
- निर्माता : यशराज फिल्म्स
- निर्देशक : शरत कटारिया
- कलाकार : अनुष्का शर्मा, वरुण धवन, रघुबीर यादव और अन्य
- रेटिंग : ढाई
उर्मिला कोरी
‘दम लगाकर हईशा’ के बाद निर्देशक शरत कटारिया एक बार फिर निम्न मध्यवर्ग की कहानी लेकर आये हैं ‘सुई धागा’ से. फिल्म की कहानी की बात करें तो यह मनमौजी (वरुण धवन) और ममता (अनुष्का) की है. जिनकी अभी-अभी शादी हुई है. मनमौजी जिस तरह का काम करता है वो ममता को पसंद नहीं है. वह अपने पति को सम्मान का काम करने को कहती है.
पति मनमौजी का परिवार दर्जी रहा है और मनमौजी के हाथ में भी वह हुनर है. इसे पत्नी ममता जल्द ही समझ जाती है, जो खुद भी कढ़ाई में माहिर है. इसके बाद शुरू होती है अपने पैरों पर खड़े होने की कहानी है. यह आसान नहीं है क्योंकि तानेबाज परिवार और धोखेबाज रिश्तेदार भी है. कैसे अपने सपनों को मनमौजी और ममता पूरा करते हैं.
इसी पर फिल्म की आगे की कहानी है. फिल्म की कहानी बहुत साधारण है. फिल्म का फर्स्ट हाफ किरदारों और उनकी समस्याओं को स्थापित करने में गया. फिल्म की कहानी में रियलिटी कम नाटकीयता ज्यादा है. फिल्म की कहानी जानी पहचानी सी है. इंटरवल के बाद कहानी बिखर सी गयी है.
अभिनय की बात करें तो वरुण धवन ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है. उनकी मेहनत दिखती है. अनुष्का शर्मा ममता के किरदार में मिसफिट हैं. पूरी फिल्म में उनके एक्सप्रेशन एक से ही हैं. रघुबीर यादव छोटी भूमिका में जंचे हैं. बाकी के किरदारों का काम ठीक-ठाक है. फिल्म का गीत-संगीत कहानी के अनुरूप है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. कुल-मिलाकर सुई धागा मनोरंजन के नाम पर औसत है.