उर्मिला कोरी
फ़िल्म: अंधाधुन
निर्देशक: श्रीराम राघवन
कलाकार: आयुष्मान खुराना,तब्बू,अनिल धवन,मानव विज,अश्विनी और अन्य
रेटिंग: साढ़े तीन
एक हसीना थी, जॉनी गद्दार और बदलापुर जैसी फिल्में बना चुके श्रीराम राघवन इस बार एक मर्डर मिस्ट्री की कहानी को ‘अंधाधुन’ में लेकर आये हैं. फ़िल्म की कहानी सस्पेंस, थ्रिलर और ड्रामा से भरपूर है. फ़िल्म की कहानी नेत्रहीन पियानो प्लेयर आकाश (आयुष्मान) की है जिसका एक ही सपना है कि वह अपने म्यूजिक को और बेहतरीन बनाकर लंदन चला जाए. अपने म्यूजिक को बेहतरीन बनाने के लिए वह कोई भी प्रयोग करने से हिचकता नहीं है. जिसकी वजह से वह कभी देखता है तो कभी नहीं देखता है.
आकाश नेत्रहीन नहीं है लेकिन म्यूजिक आर्टिस्ट होने के नाते वह यह प्रयोग करता रहता है ना देखने का ताकि उसके जेहन में म्यूजिक के सिवाय और कुछ न हो. कहानी में ट्विस्ट तब आता जब एक गुज़रे जमाने का अभिनेता प्रमोद सिन्हा (अनिल धवन) अपनी पत्नी सिम्मी (तब्बू) को शादी की सालगिरह पर सरप्राइज देने के लिए आकाश को घर पर बुलाता है.
सिम्मी को म्यूजिक से बहुत लगाव है. आकाश जब घर पहुँचता तो पाता है कि प्रमोद की लाश फर्श पर है. उस मर्डर के बाद एक और मर्डर होता है और इस बार भी आकाश ही मर्डर को देखता है. कहानी में टर्न तब लेती है जब सिम्मी को मालूम हो जाता है कि आकाश देख सकता है. उसके बाद अपहरण -फिरौती, किडनी,लीवर और क्रोनिया ट्रांसप्लांट से होते हुए फ़िल्म का अंत होता है. क्या आकाश इन सबसे खुद को बचा पाएगा इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी.
क्राइम वाली कहानियों को हूयमर के अंदाज़ में कहने में निर्देशक श्रीराम राघवन को महारत हासिल है. यह कहना गलत न होगा. इस क्राइम ड्रामा में सस्पेंस थ्रिलर के साथ साथ ह्यूमर भी है. जो फ़िल्म को इंट्रेस्टिंग के साथ साथ एंटरटेनिंग भी बनाता है।श्रीराम की क्राइम थ्रिलर फिल्मों का अंदाज़ बहुत हद तक विदेशी फिल्मों से प्रभावित रहा हैं.
उनकी यह फ़िल्म फ्रेंच फ़िल्म द पियानो ट्यूनर पर आधारित है. फ़िल्म की कहानी में जबरदस्त ट्विस्ट टर्न हैं. आगे क्या होगा।ये सवाल आपके जेहन में आता रहता है. फ़िल्म का फर्स्ट हाफ बेहतरीन कहानी आपको बांधे रखती है. सेकंड हाफ थोड़ा खींच गया है लेकिन जब फ़िल्म खत्म होती है आप पाते हैं कि यह एक शानदार फ़िल्म है. फ़िल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले जबरदस्त है.
अभिनय फ़िल्म के ट्रीटमेंट की तरह ही इसकी यूएसपी है. आयुष्मान खुराना फ़िल्म दर फ़िल्म शानदार होते जा रहे हैं. तब्बू की बात करें तो इस फ़िल्म के ज़रिए उन्होंने एक बार फिर साबित किया है कि अभिनय में उनका नाम खास क्यों है. अनिल धवन का किरदार दिलचस्प था. राधिका आप्टे को फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था. अश्विनी कलसेकर छोटी भूमिका में भी प्रभावी लगी हैं. मानव विज ,जाकिर हुसैन और दूसरे कलाकारों का काम अच्छा था.
फ़िल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. इसके लिए अमित त्रिवेदी की तारीफ करनी होगी. बैकग्राउंड म्यूजिक फ़िल्म का काफी उम्दा है. कुलमिलाकर यह एक बेहतरीन थ्रिलर फिल्म है. जो शुरू से अंत तक आपको बांधे रखती है.