गौरी लंकेश की बायोपिक नहीं बनायेंगे इंद्रजीत लंकेश

बेंगलुरू : फिल्मकार-पत्रकार इंद्रजीत लंकेश का कहना है कि वह अपने पिता की साहित्यिक रचनाओं और अपनी बहन गौरी लंकेश के जीवन पर फिल्म बनाने से परहेज करेंगे क्योंकि उनका मानना है कि वह उनसे न्याय नहीं कर पायेंगे. इंद्रजीत लंकेश कन्नड़ के मशहूर लेखक-पत्रकार पी लंकेश के बेटे है और पत्रकार-कार्यकर्ता गौरी लंकेश के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2018 3:09 PM


बेंगलुरू :
फिल्मकार-पत्रकार इंद्रजीत लंकेश का कहना है कि वह अपने पिता की साहित्यिक रचनाओं और अपनी बहन गौरी लंकेश के जीवन पर फिल्म बनाने से परहेज करेंगे क्योंकि उनका मानना है कि वह उनसे न्याय नहीं कर पायेंगे. इंद्रजीत लंकेश कन्नड़ के मशहूर लेखक-पत्रकार पी लंकेश के बेटे है और पत्रकार-कार्यकर्ता गौरी लंकेश के भाई हैं. गौरी लंकेश की पिछले साल अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी बहन की बायोपिक और अपने पिता की पुस्तकों (पर फिल्म बनाने) से दूर रहूंगा. उनके साथ न्याय कर पाना मेरे लिये मेरे लिए बेहद कठिन और भावनात्मक होगा. मेरे पिता की पुस्तकों का अलग ही स्तर है जिसे मैं रजतपट पर नहीं उतार सकूंगा. वह साहित्य अकादमी विजेता हैं और 1976 में कन्नड़ फिल्म ‘पल्लवी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.

मुझे लगता है कि उनके रचनाकर्म की भाषा और भावना फिल्म में खो जाएगी.’ यहां साक्षात्कार में लंकेश ने बताया, ‘‘जहां तक गौरी की बायोपिक या वृत्तचित्र की बात है तो मैं भी पत्रकार हूं और उनकी विचारधारा अलग थी. लोग आलोचनात्मक हैं और मैं जो भी करूंगा उस पर लोग सवाल करेंगे….मुझे पता है उसके साथ मेरा क्या रिश्ता था. हमारी विचारधाराओं में भिन्नता के चलते ढेर सारे प्रश्न खड़े किये गए.’ वर्तमान में ‘शकीला’ की बायोपिक को समाप्त करने में लगे फिल्मकार का कहना है कि हत्या के मामले पर जांच समाप्त होने तक वह किसी भी तरह की टिप्पणी करने से बचना चाहेंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘अभी मुझे कुछ नहीं पता है. शायद जांच और अदालती निर्णय आने के बाद मैं फिल्म का निर्माण करूं…..हत्यारों के पकड़े जाने और फैसला आने के बाद हो सकता है मैं बनाऊं. मैं अभी उसके बारे में सोच भी नहीं रहा हूं कि वह यहां (जीवित) नहीं हैं.’ 90 के दशक की दक्षिण भारतीय वयस्क फिल्मों की स्टार शकीला की बायोपिक में ऋचा चड्ढा मुख्य भूमिका में हैं और यह उनकी बतौर निर्देशक पहली हिन्दी फिल्म है.

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