‘मांझी द माउंटन मैन’ हो या फिर महिलाओं के मुद्दे पर बनी फिल्म ‘पैड मैन’. वेब सीरीज हो या फिर थियेटर राधिका आप्टे ने जहां पर भी काम किया अपनी अलग पहचान बनायी है. पिछले दिनों वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स को लेकर राधिका आप्टे सुर्खियों में बनी हुई थी. उनके किरदार को बेहद पसंद किया गया था. एक कार्यक्रम में पटना आयीं राधिका आप्टे ने सुजीत कुमार के साथ बातें की. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
बिहार के विषय पर काम कर चुकी हैं. बिहार आकर कैसा लगा?
यह सही है कि बिहार के विषय पर काम की हूं. तब मैं बहुत सीमित समय के लिए पटना आयी थी. मुंबई से पटना आयी, एयरपोर्ट पर थोड़ी देर रूकने के बाद वहीं से गया के लिए निकल गयी. मुश्किल से एक घंटे तक एयरपोर्ट पर थी. तब पटना को देखी भी नहीं सकी. वैसे बिहार अच्छा है. बिहार के लिट्टी चोखा के बारे में सुनी हूं. उसे खाना चाहूंगी.
गया में फिल्म की शूटिंग के दौरान क्या अनुभव रहा? क्योंकि फिल्म अलग विषय पर थी.
वो अनुभव बहुत बेहतर था. दशरथ मांझी के गांव में गांव के लोगों के साथ रहना, उनके बीच में रहना. गांव के लोग सबसे अलग होते हैं. उनलोगों से बातें करने का अनुभव अलग था.
बिहार के बारे में लोगों की धारणाएं पहले से ही बनी होती है. आपकी क्या धारणा है?
जब मैं एयरपोर्ट से आ रही थी तब मेरी गाड़ी शायद जिस इलाके से गुजरी वह ईको पार्क था. वहां हरियाली देख कर मन खुश हुआ. फिर जैसे गाड़ी आगे बढ़ी इमारतें दिखने लगी. पहली बार में कुछ ज्यादा नहीं देख पायी थी. इस बार सुदूर इलाकों को देखने की कोशिश रहेगी. बिहार के बारे में तब ही कुछ कह सकूंगी जब देखूंगी. मैं जो देखती हूं वहीं कहती हूं.
आपने फिल्में भी की, थियेटर व वेब सीरीज भी किया है? इसके बारे में क्या कहना चाहेंगी?
वेब सीरीज एक बहुत ही बढ़िया प्लेटफॉर्म है. थियेटर में क्या होता है कि वहां पर जो होता है वह बिल्कुल सामने होता है. उसमें टेक करने का मौका नहीं मिलता है. जो हुआ वह एक ही बार में हुआ. जबकि फिल्मों में ऐसा नहीं होता है. जहां तक वेब सीरीज की बात है तो यह तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. लोग इसे देखना पसंद कर रहे हैं. कई ऐपीसोड बन रहे हैं. यह मनोरंजक भी है.
बिहारी फिल्म जिसे भोजपुरी के नाम से भी जाना जाता है, उनमें काम करेंगी या नहीं?
फिल्में बस फिल्में होती हैं. मैं पहले सब्जेक्ट देखती हूं. अगर सब्जेक्ट में दम होगा तो बिहारी फिल्मों को भी जरूर करूंगी.