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उत्तराखंड सरकार ने ”केदारनाथ” को लेकर आपत्तियों की जांच के लिए बनाया पैनल

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने 2013 में केदारनाथ में आयी प्रलयंकारी बाढ़ की त्रासदी की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘केदारनाथ’ पर उठ रही आपत्तियों की समीक्षा करने के लिये पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की प्रेम कहानी पर आधारित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2018 8:13 AM

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने 2013 में केदारनाथ में आयी प्रलयंकारी बाढ़ की त्रासदी की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘केदारनाथ’ पर उठ रही आपत्तियों की समीक्षा करने के लिये पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की प्रेम कहानी पर आधारित यह फिल्म कल सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जायेगी. यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस समिति में गृह सचिव नितेश झा, सूचना सचिव दिलीप जावलकर तथा पुलिस महानिदेशक अनिल रतूडी बतौर सदस्य शामिल हैं.

यह समिति ‘केदारनाथ’ को लेकर उठ रही आपत्तियों के संदर्भ में फिल्म का परीक्षण करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी जिसके आधार पर उत्तराखंड में फिल्म के प्रदर्शन के संबंध में समुचित निर्णय लिया जायेगा.

इस फिल्म को लेकर केदारनाथ क्षेत्र के स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं जिनका आरोप है कि इसमें एक हिंदु श्रद्धालु और एक मुस्लिम पोर्टर के बीच की प्रेम कहानी दिखायी गयी है जो लव जिहाद को बढावा देगी. इस बीच, ‘केदारनाथ’ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर याचिका को नैनीताल स्थित उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आज खारिज कर दिया.

दायर याचिका में फिल्म को हिंदु भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए उसके प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था. याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ ने कहा कि संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावत’ की रिलीज के समय इसी तरह के विवाद ने फिल्म को सुपरहिट बना दिया था.

अदालत ने याचिकाकर्ता को फिल्म को लेकर अपनी आपत्तियों के साथ रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली एक उच्चधिकार प्राप्त समिति के पास जाने की भी सलाह दी. अदालत ने इस संबंध में उचित निर्णय लेने का अधिकार रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी पर छोड़ते हुए कहा कि वह क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति के अनुसार अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकते हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को भी सलाह दी कि अगर उनकी इच्छा नहीं है तो इस फिल्म को न देखें.

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