भारतीय फिल्मों को मिल रहा नया बाजार
मुंबई : फिल्म रिलीज होने के बाद तीन दिन तक उसमें काम करने वाले हर व्यक्ति की सांसें थमी रहती हैं. फिल्म की कमाई से हर कोई प्रभावित होता है. सबकी भावनाओं पर फिल्मों के पसंद किये जाने का प्रभाव पड़ता है. पहले हर फिल्म और कलाकार की किसी खास क्षेत्र में दर्शक हुआ करते […]
मुंबई : फिल्म रिलीज होने के बाद तीन दिन तक उसमें काम करने वाले हर व्यक्ति की सांसें थमी रहती हैं. फिल्म की कमाई से हर कोई प्रभावित होता है. सबकी भावनाओं पर फिल्मों के पसंद किये जाने का प्रभाव पड़ता है.
पहले हर फिल्म और कलाकार की किसी खास क्षेत्र में दर्शक हुआ करते थे और कमाई भी वहीं से होती थी लेकिन अब यह चलन धीरे-धीरे बदल रहा है. इस संबंध में 2018 भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा साल रहा.
रजनीकांत की फिल्म ‘ 2.0’ में अक्षय कुमार ने नकारात्मक भूमिका निभाई और इस फिल्म को न केवल दक्षिण भारत के दर्शकों ने पसंद किया बल्कि यह हिंदी क्षेत्र के दर्शकों को भी अपनी तरफ खींचने में कामयाब रही.
बॉलीवुड में इस चीज को समझने वालों में जो पहला नाम सामने आता है, वह है करण जौहर का. उन्होंने ‘बाहुबली’ और एस शंकर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘2.0′ को हिंदी के दर्शकों के बीच पहुंचाने का काम किया.
वितरक राजेश थडानी ने बताया, करण जौहर ‘बाहुबली’ को हिंदी दर्शकों के बीच में लेकर आये इसलिए वह यहां रिलीज हो पाई. इन फिल्मों ने हिंदी क्षेत्रों में अच्छी कमाई की.
राजामौली की फिल्म ‘बाहुबली’ और सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ और आने वाली फिल्म ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ के लेखक केवी विजयेंद्र प्रसाद का कहना है कि किसी भी फिल्म को अलग-अलग क्षेत्र के दर्शकों के हिसाब से बनाने के लिए भावनाओं और दृश्यों का जबर्दस्त समागम आवश्यक है.
प्रसाद ने बताया, लोग बिना यह सोचे फिल्म देखने को तैयार हैं कि इसे किसने बनाया है और इसमें कौन काम कर रहा है. क्षेत्रों के दायरे से आगे बढ़ने वाली फिल्म सिर्फ दक्षिण भारत की ही नहीं है बल्कि बॉलीवुड की फिल्म भी इससे गुजर रही है.
संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ ने पूरे भारत में अच्छी कमाई की थी. सिनेमा उद्योग के विश्लेषकों का मानना है कि अलग-अलग क्षेत्रों में फिल्मों के पसंद किये जाने की वजह से मनोरंजन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और यह भारतीय सिनेमा को वैश्विक पटल पर ले जाएगा.