सुप्रिया पाठक बॉलीवुड की उन चुनिंदा संजीदा अभिनेत्रियों में शुमार की जाती हैं जिनकी अदाकरी की लोग मिसाले देते हैं. उनका जन्म 7 जनवरी 1961 को मुंबई में हुआ था. फिल्मों में अपनी अदाकारी से दर्शकों को हैरान करनेवाली सुप्रिया पाठक का टीवी सीरीयल ‘खिचड़ी’ आज भी दर्शकों की पहली पसंद है. हंसा पारेख के किरदार में सुप्रिया पाठक दर्शकों को काफी भाती हैं. सुप्रिया ने साल 1981 में अपने करियर की शुरुआत फिल्म ‘कलयुग’ से की थी. बॉलीवुड में आने से पहले सुप्रिया एक थिएटर आर्टिस्ट थीं.
सुप्रिया पाठव के पिता का नाम बलदेव पाठक था. मां का नाम दिना पाठक था जो एक अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक थियेटर आर्टिस्ट थीं. उनका एक बहन हैं जिनका नाम रत्ना पाठक है जो बॉलीवुड की उम्दा अभिनेत्री हैं.
एक्टिंग का नहीं था शौक
कहा जाता है कि सुप्रिया पाठक को अदाकारी का शौक नहीं था. वे नालंदा विश्वविद्यालय से डांस विषय में स्नातक डिग्री लेने के बाद डांस में पीएचडी करनेवाली थीं. चूंकि मां थियेटर आर्टिस्ट थीं, तो जब उन्होंने सुप्रिया से नाटक में हिस्सा लेने का आग्रह किया तो वे इसे टाल न सकीं. नाटक में उनकी अदाकारी के चर्चे होने लगे और खुद सुप्रिया को भी अदाकारी में आनंद आने लगा. इस तरह उनका डांस में करियर बनाने का सपना पीछे छूटता गया.
बॉलीवुड में डेब्यू
सुप्रिया पाठक ने फिल्म कलयुग (1981) से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. यह फिल्म महाभारत से प्रेरित थी. उन्होंने फिल्म में सुभद्रा का किरदार निभाया था जिसके लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला. इसके बाद उन्होंने विजेता (1982), बाजार (1982), मासूम (1983) और मिर्च मसाला (1985) में काम किया. उन्होंने साल 1982 गांधी की बायोपिक फिल्म में काम किया था.
यादगार ‘बाजार’
सागर सरहदी की फिल्म बाजार में सुप्रिया पाठक की एक्टिंग को खूब सराहा गया. इस फिल्म मे नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख, स्मिता पाटिल और सुप्रिया पाठक मुख्य भूमिका में नजर आये थे. सुप्रिया पाठक ने इस फिल्म के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि, जब ‘बाजार’ की शूटिंग हो रही थी तब सागर सरहदी साहब ही नहीं, अन्य कलाकारों को भी उम्मीद नहीं थी कि यह फिल्म इतनी कामयाब होगी. मैं तब नयी-नयी थी लेकिन सभी सीनियर कलाकारों ने मुझे इसका अहसास नहीं होने दिया. फिल्म का संवाद ‘सज्जो हम गरीब न होते तो हमें कोई अलग नहीं कर सकता था’, यह मुझे आज भी याद है.
प्यार और शादी
सुप्रिया पाठक ने 22 साल की उम्र में अपनी मां की दोस्त के बेटे से शादी की थी लेकिन ये शादी एक साल में ही टूट गई. इसके बाद 1986 में सुप्रिया की मुलाकात अभिनेता पंकज कपूर से हुई. उस वक्त पंकज कपूर का उनकी पहली पत्नी नीलिमा अजीम से तलाक हो चुका था. सुप्रिया पाठक और पंकज कपूर की मुलाकात एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थी. दोनों की मुलाकातें प्यार में बदली और दोनों ने साथ-साथ जीने मरने का फैसला कर लिया. बाद में दोनों ने शादी कर ली. हालांकि दोनों जिस फिल्म की शूटिंग के दौरान मिले थे वो फिल्म आजतक रिलीज नहीं हो पाई लेकिन इस फिल्म की वजह से दोनों को एकदूसरे के रूप में जीवनसाथी मिल गया.
सुप्रिया पाठक के कई रंग
सुप्रिया पाठक अपने हर किरदार में पूरी तरह ढल जाती थीं. उन्होंने फिल्म बाजार में एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया जो सहमी-सहमी रहती थी और कंधा झुकाकर चलती थी, वहीं फिल्म विजेता में एक दबंग लड़की का किरदार निभाया, जबकि फिल्म ‘मिर्च मसाला’ में एक गुजराती लड़की कैसी होनी चाहिये ? इस रंग में ढल गईं. वहीं सुप्रिया के चर्चित टीवी सीरीयल ‘खिचड़ी’ की बात करें तो कैसे बेवकूफी भरे सवाल पूछकर दर्शकों के चेहरे पर हंसी लाई जा सकती है, यह वे हंसा पारेख बनकर सीखा गईं.