II उर्मिला कोरी II
फ़िल्म: द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर
निर्देशक: विजय गुट्टे
कलाकार: अनुपम खेर,अक्षय खन्ना,आहना कुमरा,सुजेन बर्नेट
रेटिंग: ढाई
इस साल की अब तक की सबसे विवादित फ़िल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ आख़िरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. संजय बारू की किताब द एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर पर आधारित यह फ़िल्म यूपीए के गठबंधन के दौरान प्रधानमंत्री बने डॉक्टर मनमोहन सिंह के पूरे कार्यकाल को दिखाती है. फ़िल्म को किताब के लेखक संजय बारू के नज़रिए से दिखाया गया है. वो खुद को इस राजनीतिक महाभारत का संजय बताते हैं.
फ़िल्म में मनमोहन सिंह को भीष्म की तरह हैं. पॉवर होते हुए भी वो कमज़ोर हैं, सब जानते और समझते हुए भी चुप हैं. उनकी डोर गांधी परिवार के हाथ में हैं वो जो कुछ करते हैं सोनिया गांधी और राहुल की मर्जी से.
इस बात को फ़िल्म में दिखाने के अलावा डॉक्टर मनमोहन सिंह अच्छे इंसान हैं. वो ईमानदार हैं. उनकी सरकार में भले ही कई घोटाले हुए हो लेकिन वो उनसे दूर थे. वो इन सब के खिलाफ कुछ करना चाहते हैं लेकिन गांधी परिवार की वजह से विवश हैं. इस बात को भी चिन्हित किया गया है. लेकिन फ़िल्म की कहानी में जो कुछ भी दिखाया गया है उसमें कुछ भी ऐसा नहीं हैजिससे लोग अंजान हैं.
पॉलिटिक्स का सिर्फ पी जानने वाले भी इस पूरे घटनाक्रम से वाकिफ हैं. फ़िल्म में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया जो चौंकाता है. कहानी बहुत सपाट है. ट्विस्ट एंड टर्न की कमी खलती है. आर्थिक सुधार के मामलों में मनमोहन सिंह का नाम बहुत अहम और खास है इसका फ़िल्म में कहीं जिक्र तक नहीं है. भारतीय राजनीति पर आधारित होने की वजह से इस फ़िल्म की तारीफ करनी होगी. आमतौर पर बॉलीवुड ऐसी फिल्मों से बचता रहा है.
अभिनय की बात करें तो मनमोहन सिंग के किरदार के लिए अनुपम खेर ने मेहनत बहुत की है लेकिन फ़िल्म के कई दृश्य में वो चूकते नज़र आते हैं. कई बार वो कैरिकेचर से लगने लगते हैं. अक्षय खन्ना अपनी भूमिका में जमे हैं. सुजेन, आहना सहित सभी किरदारों के लुक की तारीफ करनी होगी.वो अपने लुक के साथ ही किरदार से जुड़ जाते हैं. फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं तो बैकग्राउंड म्यूजिक औसत है. कुलमिलाकर द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर एक औसत फ़िल्म है.