ऑस्कर जीत भारत का नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज कराने वाले संगीतकार ए आर रहमान ने समारोह की शाम पतला नजर आने के लिए खाना पीना छोड़ दिया था. रहमान को 2009 में फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के ओरिजिनल स्कोर और उसके एक गीत ‘जय हो’ के लिए दो अकादमी पुरस्कार मिले थे.
यह पूछे जाने पर कि समारोह की शाम वह कैसा महसूस कर रहे थे, रहमान ने कहा, ‘ वास्तव में कुछ भी नहीं. मैंने बस समारोह में पतला दिखने के लिए खाना-पीना छोड़ दिया था.’ ऑस्कर जीत के 10 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विशेष समारोह के दौरान रहमान ने यह बयान दिया.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शुरू में रहमान की संगीत में कोई खास रुचि नहीं थी. उनके संगीत के सफर की शुरुआत तब हुई, जब पांचवीं कक्षा में उनके पिता ने रहमान को एक म्यूजिक कीबोर्ड गिफ्ट किया. इससे संगीत से उनका जुड़ाव हुआ.
एआर रहमान ने 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया, लेकिन अपनी कला से इतना प्रभावित किया कि लोग उसके कायल होकर रह गये. लोग उनकी शख्सियत से इतने प्रभावित हुए कि ओंटारियो कनाडा में एक सड़क का नाम ‘अल्लाह रक्खा रहमान’ रखा गया है, जो एआर रहमान के नाम पर है.
हिंदी फिल्मों में उन्हें पहला ब्रेक दिया दक्षिण के जाने-माने फिल्म निर्देशक मणिरत्नम ने फिल्म ‘रोजा’ में. इस फिल्म का हर गाना हिट हुआ. यहीं से रहमान हर आयुवर्ग के दिलों पर छा गये. पहली ही फिल्म के लिए रहमान को नेशनल अवॉर्ड भी मिला.
एआर रहमान ने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए भी अपना म्यूजिक दिया है. इनमें स्लमडॉग मिलियनेयर, 127 आवर्स, गॉड ऑफ वार, मिलियन डॉलर जैसी फिल्में शामिल हैं. दो ऑस्कर और दो ग्रैमी अवॉर्ड हासिल कर चुके रहमान पद्म भूषण और पद्मश्री के अलावा 4 राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके हैं.