शिल्पा शेट्टी ने साल 1993 में फिल्म बाजीगर से डेब्यू किया था. इस फिल्म में वे शाहरुख खान और काजोल के साथ नजर आईं थीं. फिल्म सुपरहिट रही थीं. उनकी पहली ही फिल्म सुपरहिट रही थीं और उन्हें एक अलग पहचान भी मिली लेकिन अभिनेत्री ज्यादा समय तक इंडस्ट्री में टिक नहीं पाईं. इनदिनों वे टीवी डांस रियेलिटी शो ‘सुपर डांसर चैप्टर 3’ में जज की भूमिका में नजर आ रही हैं. हाल ही में ‘ह्यूमन ऑफ बॉम्बे’ से खास बातचीत में शिल्पा शेट्टी ने बॉलीवुड में अपने स्ट्रगल के दिनों के बारे में बताया.
शिल्पा ने कहा,’ मैं डार्क (गहरा रंग), लंबी और पतली बच्ची थी. मैंने ग्रेजुएशन के बाद अपने पिता के साथ काम किया. हालांकि मैं कुछ अलग और बड़ा करना चाहती थी, लेकिन सोचा नहीं था कि मैं ऐसा कर सकती हूं.’
उन्होंने आगे कहा,’ मैंने मस्ती के लिए फैशन शो में हिस्सा लिया. उस दौरान मेरी मुलाकात एक फोटोग्राफर से हुई जो मेरी तसवीरें खींचना चाहता था. मेरे लिए एक अच्छा मौका था. मेरी जो तसवीरें खीचीं गई थीं वो बहुत अच्छी थी जिसे देखकर मैं हैरान रह गई. इसने मेरे लिये मॉडलिंग के रास्ते खोल दिये.’
अभिनेत्री ने कहा,’ मुझे फिल्म के लिए ऑफर आने लगे. मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मैं ऊपर की तरफ बढ़ रही थी. लेकिन आसानी से मिलने वाली चीजों की अहमियत नहीं होती. मैं 17 साल की थी जब मैंने इंडस्ट्री में कदम रखा. मैंने दुनिया को सही तरीके से नहीं देखा था और न ही जिंदगी को समझी थी. मुझे सफलता मिली लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं थी.’
उन्होंने आगे कहा,’ मुझे हिंदी नहीं आती थी और कैमरा के सामने जाने के ख्याल से ही मैं डर जाती थी. मैं उस जगह पहुंच गई जहां कुछ फिल्में करने के बाद मुझे फिल्में मिलना बंद हो गई. मैंने बहुत कोशिश की लेकिन हर बार मुझे लगा कि मैं पीछे जा रही हूं. मुझे याद है कुछ प्रोड्यूसर्स ने मुझे बिना वजह बाहर कर दिया था. दुनिया मेरे सपोर्ट में नहीं थी लेकिन मुझे कोशिश करते रहना था.’
शिल्पा ने कहा,’ यह वो समय था जब मैंने बिग ब्रदर में जाने का फैसला किया. लेकिन यह एक बुरे अनुभव के साथ खत्म हुआ. मुझे पब्लिकली धमकाया गया और भेदभाव किया गया सिर्फ मेरे इस देश (भारत) के होने के कारण. यह आसान नहीं था. मैं घर में अकेली थी लेकिन मैंने खुद को कमजोर पड़ने नहीं दिया. इतना आगे आने के बाद मैं हार नहीं सकती थी. जब मैं जीती तो लोगों ने मुझसे कहा आपने हमें गौरान्वित किया है.’
शिल्पा कहती हैं,’ तब मुझे अहसास हुआ कि स्ट्रगल और दृढ़ता मायने रखता है. मुझे ने केवल अपने लिए खड़ा होना था बल्कि उन लोगों के लिए भी खड़ा होना था जिन्होंने जातीय भेदभाव सहा है. मेरी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आये हैं. मैंने हर पल को इंज्वॉय किया. मैं आज जो भी हूं इसी की वजह से हूं- एक मजबूत महिला, एक प्राउड एक्टर, एक पत्नी और एक मां. मैं इसे किसी अलग नजरिये से नहीं देख सकती.’