II उर्मिला कोरी II
फिल्म : पीएम नरेंद्र मोदी
निर्देशक: उमंग कुमार
कलाकार: विवेक ओबेरॉय, जरीना वहाब, मनोज जोशी और अन्य
रेटिंग : दो
हिंदी सिनेमा में बायोपिक फिल्मों का मतलब महिमामंडन हो गया है. इसी की अगली कड़ी ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ है. नरेंद्र दामोदर राव मोदी एक चायवाले से भारत प्रधानमंत्री बनने का सफर निश्चिततौर पर बहुत ही मुश्किलों भरा रहा होगा और कईयों के लिए यह प्रेरणादायी भी है लेकिन इसके बावजूद नरेंद्र मोदी की क्या कुछ खामियां या कमजोरियां नहीं थी. इसे अगर फिल्म की कहानी में दिखाया जाता तो यह फिल्म गुणणान भी न होकर विश्वसनीय सी लगती.
फिल्म की शुरुआत में ही साधु संत और हजारों की तादाद में लोग नरेंद्र मोदी का कटआउट को फूलों की बारिश से नहला रहे हैं. फिल्म मोदी के संघर्षरत बचपन को दिखाते हुए आरएसएस का कार्यकर्ता होते हुए गुजरात का सीएम फिर भारत का पीएम तक गुजरती है.
विवादास्पद गोधरा कांड का भी जिक्र है तो कहानी में ड्रामा लाने के लिए अक्षरधाम मंदिर पर हमला और मोदी की हत्या के लिए आंतकवादी साजिश का प्रसंग भी जोड़ा गया है लेकिन इसके बावजूद कहानी आपको प्रभावित नहीं कर पाती है.
फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले बहुत ही कमजोर है. तथ्यों को भी एक दो जगह ठीक से दिखाया नहीं गया है. नरेंद्र मोदी शादीशुदा हैं लेकिन इस फिल्म में दिखाया गया है कि उनकी शादी की बात चल रही है और गौतम बुद्ध की किताब को पढकर वो इस कदर उनसे प्रभावित हुए कि उन्होंने शादी करने से इंकार कर दिया और सन्यासी बनने को निकल गए. अगर उनकी नाकामयाब शादी को कहानी में दिखाया जाता तो क्या इससे उनकी सफलता धूमिल हो जाती थी.
फिल्म में अमित शाह और नरेंद्र मोदी की प्रसिद्ध जोड़ी का भी प्रसंग है लेकिन वह जिक्र मात्र ही है. कहानी में उसकी अहमियत नहीं है. कुलमिलाकर निर्देशक के तौर पर उमंग कुमार की यह फिल्म फैनब्वॉय ट्रिब्यूट लगती है.
अभिनय की बात करें तो अभिनेता के तौर पर विवेक ओबेरॉय ने नरेंद्र मोदी की भूमिका को सहज ढंग से निभाया है. प्रोस्थेटिक मेकअप की भी तारीफ करनी होगी. जिसने विवेक के काम को आसान बनाया. विवेक ने संवाद अदाएगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लहजा पकड़ने की बखूबी कोशिश की है. मनोज जोशी अमित शाह की भूमिका में जंचे है. बाकी के कलाकारों को उतना अधिक स्पेस नहीं मिला है लेकिन सभी अपनी अपनी भूमिका में जमे है. फिल्म का गीत संगीत औसत है. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी अच्छी है.
आखिर में अगर आप मोदी भक्त हैं तो ये आपको फिल्म पसंद आ सकती है. अगर आप सिनेमा में अच्छी कहानी और प्रस्तुति की तलाश में इस फिल्म को देखने जाते हैं तो आपको निराशा होगी.