मेरे पिता ने हमेशा आशावादी जीवन जिया : शबाना आजमी
नयी दिल्ली : शायर कैफी आजमी की ‘‘समाजवादी भारत” में अंतिम सांस लेने की इच्छा थी, हालांकि उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ लेकिन जीवन में उन्होंने कभी भी खुद को "पराजित" महसूस नहीं किया. शायर कैफी आजमी की बेटी एवं अदाकारा शबाना आजमी ने सोमवार को किताब ‘कैफी आजमी( पोएम/नज़्म ) न्यू एंड सिलेक्टेड […]
नयी दिल्ली : शायर कैफी आजमी की ‘‘समाजवादी भारत” में अंतिम सांस लेने की इच्छा थी, हालांकि उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ लेकिन जीवन में उन्होंने कभी भी खुद को "पराजित" महसूस नहीं किया.
शायर कैफी आजमी की बेटी एवं अदाकारा शबाना आजमी ने सोमवार को किताब ‘कैफी आजमी( पोएम/नज़्म ) न्यू एंड सिलेक्टेड ट्रांसलेशन’ के विमोचन के मौके पर कहा कि उनके पिता ने हमेशा आशावादी जीवन जिया . उन्होंने कहा, ‘‘ वह दो अलग-अलग युगों के साक्षी बने लेकिन कभी अपना विश्वास नहीं खोया और मुझे लगता है कि शायद यही उनकी ताकत थी. साथ ही एक कलाकार की हार समाज की हार है क्योंकि यहीं वे लोग हैं जो दूसरों की उम्मीदों को आगे ले जाते हैं.”
उन्होंने कहा, ‘‘ कैफी हमेशा खुद को एक कार्यकर्ता समझते थे. उन्होंने अपनी शायरी में जो बातें कीं, उन्होंने हकीकत में उसे जिया भी.” कैफी को लोगों का शायर बताते हुए आजमी ने उस वाकये का जिक्र किया जब वह नौ साल की थीं और इस बात को लेकर आग बबूला हो गईं थीं जब एक महिला ने एक पार्टी में उनके पिता से नज़्म पढ़ने का अनुरोध किया था. ‘कैफी आजमी ( पोएम/नज़्म ) न्यू एंड सिलेक्टेड ट्रांसलेशन’ का प्रकाशन ‘ब्लूम्सबरी’ ने किया है. यह उर्दू शायरियों का अंग्रेजी में अनुवाद है जिसे देवनागरी लिपि में लिखा गया है.