एक लंबे अंतराल के बाद अभिनेत्री मल्लिका शेरावत ग्लैमर वर्ल्ड में दस्तक अपने वेब शो ‘बू सबकी फटेगी’ से दे रही हैं. मल्लिका कहती हैं कि डिजिटल कंटेंट उन्हें लुभा रहा है क्योंकि यहां अभिनेत्रियों को शो में हीरो का दर्जा मिल रहा है. वह आनेवाले समय में ज्यादा से ज्यादा वेब सीरीज का हिस्सा बनना चाहेंगी. पेश है मल्लिका शेरावत से हुई उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश.
-ऐसे वेब सीरिज को हां कहने की क्या वजह थी ?
यह वेब सीरिज एक हॉरर कॉमेडी है. मैं भूतनी बनी हूं. उसका नाम हसीना है. मेरे भाई ने कहा कि अब तुम्हें परफेक्ट रोल मिला है. रियल लाइफ में भूतनी अब रील लाइफ में भी बनेगी. एकता कपूर के साथ काम करने की एक अरसे से ख्वाहिश थी. जब उन्होंने मुझे यह वेब सीरिज आॅफर की तो मुझे तो मौका मिल गया. शो में संजय मिश्रा, कीकू शारदा,कृष्णा अभिषेक जैसे कॉमेडियन हैं तो कॉमेड़ी करना आसान हो गया. एक लंबे अरसे बाद तुषार के साथ काम कर रही हूं.मुझे लगा था एटीट्यूड आ गया होगा लेकिन नहीं वो अभी भी वैसा ही है. सिंगल फादर बनकर उसने समाज के रटे-रटाये नियम को तोड़ा है. अच्छा लगा.
-वेब प्लेटफॉर्म अपने बोल्ड़ कंटेट के लिए भी सुर्खियों में रहता है आप अपने बोल्ड़नेस के लिए भी जानी जाती हैं.
मेरी बोल्डनेस किसिंग तक थी, लेकिन उसी के लिए सभी ने मेरी जान ले ली थी. अब तो मैं देखती हूं कि फ्रंटल न्यूडिटी कॉमन हो गयी है. अब इतना हाय तौबा नहीं मचता है. जहां तक बात बोल्ड किरदार की है जब आयेंगे तब देखूंगी. स्क्रिप्ट कैसा होगा उस पर सब निर्भर करेगा लेकिन हां मैं फिल्मों से ज्यादा प्राथमिकता डिजिटल प्लेटफॉर्म को प्राथमिकता दे रही हूं. बॉलीवुड आज भी रिस्क लेना नहीं चाहता है. बस फार्मूले पर चल रहा है. मेरे साथ ग्लैमर का फार्मूला जुड़ा था तो वैसे ही रोल ऑफर हुए. कुछ अलग किरदार नहीं मिले.
-डिजिटल माध्यम पर सेंसरशिप पर आपकी क्या सोच है?
बोल्ड कंटेट बन रहे हैं क्योंकि लोग देख रहे हैं. पहले देखना बंद हो तो बनाना बंद होगा न. मुझे सेंसरशिप में कभी विश्वास नहीं रहा है. फिल्मों में भी सेंसरशिप के खिलाफ हूं. रेटिंग सिस्टम होना चाहिए. बच्चे अपने मां बाप की निगरानी में कंटेंट देखें.
-क्या आप अभी फिल्मों से दूर ही रहेंगी ?
अभी रजत कपूर के साथ एक फिल्म कर रही हूं. 1150 की एक्ट्रेस की कहानी है. फिल्म के सेट पर जो भी होता है. वे सब इस फिल्म में आपको देखने को मिलेगा. लुक की बात करूं तो मधुबाला, नरगिस,वहीदा रहमान को फॉलो कर रही हूं. उनके कपड़े, हेयरस्टाइल सबकुछ उनके मेल खाते हैं. मैनरिज्म भी फॉलो कर रही हूं. बहुत ही अलग तरह की फिल्म है.
-क्या फिल्म में मी टू का मुद्दा उठाया गया है?
नहीं ! उस फिल्म में ऐसा नहीं है. वह अलग तरह की फिल्म है.वैसे मैं मी टू मुद्दे को सपोर्ट में हूं. बहुत हिम्मत चाहिए लड़कियों को सामने से ये बात कहने के लिए क्योंकि बदनामी उनकी ही होने वाली है, लेकिन फिर भी महिलाओं ने हिम्मत की. इतना सशक्त ये आंदोलन था कि अब लोग ऐसा करने से पहले दो बार सोचेंगे.
-आप कुछ समय से विदेश में रही हैं वहां क्या मिस करती थी?
भारत में सब कितना कलरफुल कपड़े पहनते हैं. विदेशों में सब ब्लैक और ग्रे ही पहनते हैं. मुझे तो बड़ा डिप्रेशिंग टाइप लगता है. पता नहीं कलरफुल कपड़ों से उन्हें क्यों परेशानी है. मेरा पसंदीदा रंग कहेंगे तो लाल, ब्लू और नारंगी ये चटख रंग बहुत पसंद आते हैं. हमारे लिए फैमिली वैल्यूज बहुत मायने रखते हैं जबकि वहां पर ऐसा कुछ नहीं है. हमारा देश बहुत ही अध्यात्मिक देश है. हम मेटेरियलिस्टिक देश नहीं है. हमारी सम्यता हजारों साल पुरानी है. समय की कसौटी पर उसने खुद को खरा पाया है. हमारा खाना मिस करती थी.
डिप्रेशन से कई एक्ट्रेस गुजर चुकी हैं आपके लिए मेंटल हैप्पीनेस कितना जरूरी है. योग ने इसमें मेरी बहुत मदद की है. कई तरह के ऐसे आसान और पोश्चर होते हैं. जो आपके स्ट्रेस को कम करते हैं. साइंटीफिकली यह बात साबित हुई है. इसके अलावा मैं अपने भाई के बेटे के साथ समय बिताना पसंद करती हूं.
-क्या भविष्य में खुद मां बनने की तैयारी है सरोगेसी या शादी के जरिए ?
बिल्कुल नहीं, मुझे बच्चों के साथ खेलना पसंद है, लेकिन फिर उन्हें उनके माता-पिता को दे देना. मैं जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती हूं. मुझे लगता है कि एक बच्चे के साथ ढेर सारी जिम्मेदारियां जुड़ी होती हैं और वो मेरे बस की नहीं है. मैं सिंगल ही खुश हूं.
-आप सोशल वर्क से जुड़ी हैं?
हां,मैं फ्री ए गर्ल मूवमेंट से जुड़ी हूं. जहां लड़कियों को वेश्यावृत्ति से निकालकर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जा रहा है. हाल ही में वहां से निकली 14 लड़कियां लॉयर की पढ़ाई कर रही हैं. बार काउंसिल से उन्हें नौकरी की भी बात हो रही है. कोलकाता के बाद हम मुंबई में संस्था शुरू करने जा रहे हैं. यूनाइटेड स्टेट ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी किया जिसमे लिखा गया था कि औरतों के लिए सुरक्षित नहीं है. आप भारत के गांवों में महिलाओं की स्थिति जाकर देखिए उन्हें जानवरों से ज्यादा नहीं समझा जाता है.