अपने ख्वाबों को सच करने के लिए प्रेरित करती है ”सुपर 30”

आइआइटी और मेडिकल की प्रतियोगिता परीक्षा जितनी महत्वपूर्ण है उससे कई ज्यादा उसकी तैयारी. हालात अच्छी हो या खराब इन सभी में अपनी पूरी ताकत दिखानी पड़ती है. शुक्रवार को रिलीज हुई रितिक रोशन की फिल्म ‘सुपर 30’ युवाओं को इसका संदेश दे रही है. विकास बहल के निर्देशन में बनी फिल्म सच्ची घटना पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2019 8:30 AM

आइआइटी और मेडिकल की प्रतियोगिता परीक्षा जितनी महत्वपूर्ण है उससे कई ज्यादा उसकी तैयारी. हालात अच्छी हो या खराब इन सभी में अपनी पूरी ताकत दिखानी पड़ती है. शुक्रवार को रिलीज हुई रितिक रोशन की फिल्म ‘सुपर 30’ युवाओं को इसका संदेश दे रही है. विकास बहल के निर्देशन में बनी फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. फिल्म में रितिक रोशन ने बिहार के जाने माने गणितज्ञ आनंद कुमार की भूमिका निभायी है़ जो नि:शुल्क आइआइटी की तैयारी कराते हैं.

रितिक रोशन फिल्म में रामानुज स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स नामक संस्थान का संचालन कर रहे हैं. इस फिल्म को क्रिटिक्स ने बेहतर रेटिंग दी है़. फिल्म में जातिवाद से संबंधित शिक्षा प्रणाली को भी उठाने की कोशिश की गयी है. यह समाज को बदलने का प्रयास भी कर रही है. बॉलीवुड फिल्म होने के नाते इसमें भी रोमांस का तड़का लगाया गया है. अपने ख्वाबों को सच करने के लिए प्रेरित कर रही है फिल्म सुपर 30. जानें क्‍या कहते हैं दर्शक

फिल्म देश के एजुकेशन सिस्टम के ऊपर सवाल उठाने पर मजबूर करती है. साथ ही कोचिंग सिस्टम के दबाव और उनकी धांधली को जीवंत करने वाली है. इस फिल्म में शामिल सभी कलाकारों ने बेहतर एक्टिंग की है.
– परिणीति उपाध्याय

समाज के सोशल इशूज पर लगातार फिल्में बन रही हैं. शिक्षा प्रणाली की गड़बड़ी पर फोकस किया गया है. इसमें सुधार करने के नियमित प्रयास भी किये जा रहे हैं. ऋतिक रोशन की एक्टिंग स्किल प्रभावित करने वाली है.
– राकेश कुमार

जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन आगे बढ़ने की जरूरत है. फिल्म इसकी प्रेरणा देती है. यह फिल्म समाज को जागरूक करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी. साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेगी.
– ऐमन खान

ट्रेलर देखकर ही लग रहा था कि मूवी अच्छी होगी. देखने के बाद एक बात तो तय है कि ऋतिक रोशन को नेक्सट परफेक्सनिस्ट का खिताब देना चाहिए. पैसा वसूल मूवी है़ मोटिवेट करने के साथ समाज में बदलाव का प्रश्न भी उठाती है.
– उज्ज्वल

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