पटना : राजधानी पटना स्थित किलकारी भवन में आयोजित समारोह में फिल्म ‘सुपर 30’ के बाल कलाकारों और उनके अभिभावकों को सम्मानित करने के बाद उन्हें संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. यहां के बच्चे हर जगह अपना परचम लहरा रहे हैं. पहली बार बिहार पर केंद्रित फिल्म ‘सुपर 30’ में बिहार की सकारात्मक छवि पेश की गयी है. इसके पहले गंगाजल, अपहरण, गैंग ऑफ वासेपुर आदि फिल्मों में अपराध, अपहरण आदि को आधार बना कर बिहार को चित्रित किया गया था.
उन्होंने आगे कहा,’ दामुल, शूल और हिप-हिप हुर्रे जैसी फिल्में बिहारी फिल्मकार द्वारा जरूर बनायी गयी थी मगर उनकी कहानियां बिहार से जुड़ी हुई नहीं थीं. लेकिन पहली बार ‘सुपर 30’ में बिहार की बेहतर छवि को दिखाया गया है.’
सुशील कुमार मोदी ने कहा,’ फिल्म बहुत बढ़िया है. ऐसी फिल्म सभी को देखनी चाहिए़ छह दिनों में मैं अब तक दो बार इस फिल्म को देख चुका हूं.’ गुरुवार को ‘सुपर 30’ के बाल कलाकारों के बीच सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा, राज्य परियोजना निदेशक वीइपी पटना के संजय सिंह और गणितज्ञ आनंद कुमार मौजूद थे. अतिथियों का स्वागत करने के लिए किलकारी की निदेशिका ज्योति परिहार भी मौजूद थीं.
मौके पर शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि बिहार की प्रतिभा किसी मामले में कम नहीं है. फिल्म ‘सुपर 30’ को काफी सराहना मिल रही है़ बिहार की प्रतिभा प्रसिद्ध साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम समाप्त होने के बाद मैंने फिल्म देखने का ही प्लान बनाया है.
बिहार के गौरव को बढ़ाती है फिल्म
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि फिल्म में शानदार अभिनय कर चुके सभी बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि गरीब और सामान्य वर्ग की है. इन बच्चों ने यह साबित किया है कि अगर उन्हें अवसर मिले तो वह अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया को मनवा सकते हैं. सरकार भी ऐसे बच्चों की मदद के लिए पूरी तरह से तत्पर है. बिहार सरकार द्वारा टैक्स फ्री की गयी इस फिल्म को अधिक से अधिक लोगों को देखना चाहिए. वंचित, कमजोर वर्ग के बच्चों की ‘सुपर 30’ के माध्यम से आइआइटी जैसी संस्था में पढ़ने की ख्वाहिश को साकार करने में अहम भूमिका निभाने वाली संस्था ‘सुपर 30’और उसके मेंटर आनंद कुमार पर केंद्रित यह फिल्म न केवल बिहारी प्रतिभाओं को सम्मान देती है बल्कि बिहार के गौरव को भी बढ़ाती है.
फिल्म देखा तो सुननी पड़ी गालियां
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मैंने फिल्म देखा तो लोंगों की गालियां सुननी पड़ी. एक चैनल ने दिखाया कि बिहार बाढ़ से ग्रसित है और डिप्टी सीएम फिल्म देख रहे हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि बाढ़ के लिए मिनट-मिनट पर मॉनिटरिंग हो रही है. लोग लगाये गये हैं. मुख्यमंत्री भी दौरा कर रहे हैं. अगर बिहार पर बनी यह फिल्म जिसमें बिहार की प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है नहीं देखता तो इस फिल्म के लिए अपमान की बात होती.
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि फिल्म में शानदार अभिनय कर चुके सभी बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि गरीब और सामान्य वर्ग की है. इन बच्चों ने यह साबित किया है कि अगर उन्हें अवसर मिले तो वह अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया को मनवा सकते हैं. सरकार भी ऐसे बच्चों की मदद के लिए पूरी तरह से तत्पर है. बिहार सरकार द्वारा टैक्स फ्री की गयी इस फिल्म को अधिक से अधिक लोगों को देखना चाहिए. वंचित, कमजोर वर्ग के बच्चों की ‘सुपर 30’ के माध्यम से आइआइटी जैसी संस्था में पढ़ने की ख्वाहिश को साकार करने में अहम भूमिका निभाने वाली संस्था ‘सुपर 30’और उसके मेंटर आनंद कुमार पर केंद्रित यह फिल्म न केवल बिहारी प्रतिभाओं को सम्मान देती है बल्कि बिहार के गौरव को भी बढ़ाती है.
फिल्म में इन बाल कलाकारों ने किया है काम
‘सुपर 30’ में पटना, नालंदा. आरा, बेगूसराय और बक्सर जिलों के बच्चों ने काम किया है, जिसमें अमृत राज, अभिषेक कुमार, अश्विनी कुमार, अजय कुमार, प्रेम रंजन, विशाल कुमार, कृष्णा कुमार, दीपक कुमार, दीपाली कुमारी, गोपी, नवीन कुमार, राहुल कुमार, नेहा कुमारी, रोहित कुमार, विनोद कुमार विश्वकर्मा, सलमान, विकास, कुमार, आयुष कुमार, प्रिंस राज, अभिषेक आनंद, सन्नी कुमार, अभिषेक शर्मा, रोशन राज, लक्ष्मी, सूरज प्रकाश , नीतीश कुमार, घनश्याम कुमार, अभिषेक कुमार, मानसी कुमारी और प्रदुम्न ने बेहतर काम किया है.
बेटा हवाई जहाज पर गया तो 25 किलो लड्डू बांटा
इस कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गान से की गयी़ जिसमें सभी किलकारी के बच्चों ने अपने स्वागत गान से सभी को आकर्षित किया. इस दौरान मंच पर सुपर 30 के कई कलाकारों ने अपनी फिल्म से जुड़ी बातें साझा की. खास बात यह रही कि मंच पर बच्चों के पैरेंट्स को भी बुलाया गया था. यहां आ कर घनश्याम के पिता ने कहा कि हमेशा सोचता था कि बेटा मेरी तरह भूंजा न बेचे. पढ़-लिख कर कुछ नाम कमाये. ऐसे में बेटा जब हवाई जहाज से मुंबई गया तो मैंने 25 किलो लड्डू पड़ोंसियों में बांटा़ वहीं नेहा की मां कहती हैं कि मैं बेटी को किलकारी आने से मना करती थी, लेकिन वह जिद करके आती थी. आज उसकी जिद के कारण जो औरत ठीक से पटना नहीं घूम पायी थी वह मुंबई घूम के आ गयी. कार्यक्रम में पैंरेंट्स को शॉल देकर सम्मानित किया गया.