जॉन अब्राहम की फिल्म ‘बाटला हाउस’ द्वारा कमाई के मामले में उनके करियर को नया आयाम मिला है और अपनी फिल्म की इस कामयाबी से वह बेहद खुश हैं और आगे भी ऐसी फिल्में वे करते रहना चाहते हैं जो कि एक भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा करने में कामयाब रहे. हाल ही में एक साक्षात्कार में जब उनसे कहा गया कि पहले परमाणु, फिर सत्यमेव जयते और अब बाटला हाउस. लगता है आप हिंदी सिनेमा के नये भारत कुमार बनते जा रहे हैं?
इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई इरादा लेकर तो कभी ये फिल्म मैंने बनायी नहीं है. लोग ये भी कहते हैं कि मैं देशभक्त हीरो बनना चाहता हूं, हालांकि मैं अपनी बात इस तरह से कहता हूं कि मैंने कहानियां चुनी हैं. ये कहानियां ऐसी हैं जो आज की पीढ़ी को बताना जरूरी है. इन कहानियों को कहने की कोशिश मैं आगे भी करता रहूंगा.
साथ ही उनसे सवाल किया गया कि ये कहानियां आप चुनते कैसे हैं और कहानियां आप तक पहुंचती कैसे हैं? इस पर अभिनेता ने बताया कि कहानियां चुनने का तो मेरा बस एक ही तरीका है. कहानी सीधे मेरे दिमाग को झकझोरती है तो मैं समझ जाता हूं कि ये सही कहानी है. जैसे कि मैं कहीं भी रहूं, दुनिया के किसी भी कोने में मैं तिरंगा लहराता देखता हूं तो मुझे काफी खुशी होती है और दर्शक को पुलकित, प्रफुल्लित और प्रभावित करने वाली कहानियां मैं बनाना चाहता हूं.