‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर आज अपना 90वां जन्मदिन मना रही हैं. लगभग 6 दशकों से अपनी जादुई आवाज के जरिये 20 से अधिक भाषाओं मे 50,000 से भी ज्यादा गीत गाकर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करा चुकीं लता मंगेशकर श्रोताओं के दिलों पर राज करती हैं. 28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मीं लता का वास्तविक नाम हेमा हरिदकर है. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच से जुड़े थे. 5 साल की उम्र से ही लता मंगेशकर ने अपने पिता के साथ नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था.
लता मंगेशकर के पहले नाटक से जुड़ा एक बेहद रोचक किस्सा भी है. पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की नाटक कंपनी का नाम ‘बलवन्त संगीत मंडली’ था. पहली बात लता पिता के जिस नाटक के साथ मंच पर उतरी थीं उसका नाम था- ‘सौभद्र’.
यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब ‘लता-सुर गाथा’ में इसका जिक्र करते हुए लिखा है- अर्जुन और सुभद्रा की कथा पर आधारित नाटक ‘सौभद्र’ में पंडित दीनानाथ मंगेशकर ने स्वयं अर्जुन का रूप धरा था और 9 साल की छोटी सी लता बनीं थी नारद. लता मंगेशकर को उनकी मां ने बड़े जतन से सजा धजा कर स्टेज पर भेजा था. लता के श्रृंगार में मां ने पीताबंर पहनाया था और हाथ में एक छोटी सी तंबूरी दी थी.
नाटक से पहले नन्ही लता ने पिता को टोका था, ‘आपको जैसे हर बार ‘वंस मोर’ मिलता है, वैसा ही वंस मोर आज मुझे मिलने वाला है.’ नारद के रूप में लता मंगेशकर ने गाया था- ‘पावना वामना या मना’. गायन के समय पंडित दीनानाथ मंगेशकर विंग में खड़े होकर अपनी बिटिया का गीत सुन रहे थे.
पुस्तक में जिक्र किया गया है कि, ‘पावना वामना या मना’ गीत पर भरी महफिल में लता मंगेशकर को वंस मोर मिला था. पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर भी वहीं मौजूद थे. यह ‘वंस मोर’ कभी न खत्म होनेवाला ‘वंस मोर’ था. नन्ही लता को उनकी गायिकी के लिए खूब तारीफें मिली थीं. पंडित दीनानाथ को उस दिन इस बात का एहसास हुआ था कि उनकी बिटिया में वो सारी खूबियां हैं जो एक रंगमंच के कलाकार में होनी चाहिए.
इसके बाद साल 1940 के आसपास लता मंगेशकर को पहली बार नयी दिल्ली ऑल इंडिया रेडियो से आमंत्रण आया. 10 वर्षीया लता मंगेशकर के रिकॉर्डिंग के लिए उनके पिता भी दिल्ली आये. लता मंगेशकर ने जब ऑल इंडिया रेडिया का माइक संभाला तो उन्होंने पहला बार शास्त्रीय गायक खंभावती गाया था.
बावजूद इसके यह राग इसलिए बहुत अहम है क्योंकि असल मायनों में यह पहला और आखिरी राग है जो लता मंगेशकर ने रेडियो के लिए रिकॉर्ड किया था. लेकिन 1942 में लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर का असमय निधन हो गया. उनकी उम्र सिर्फ 41-42 साल की थी. पिता के निधन के बाद लता मंगेशकर के कंधों पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी आ गई. इसके बाद उन्होंने रेडियो के लिए कोई रिकॉर्डिंग नहीं की.