मुंबई : शांत और संयमी स्वर कोकिला लता मंगेशकर के गंभीर स्वभाव से सभी परिचित हैं, लेकिन लता बचपन में एक आम बच्चे की तरह बहुत शरारत किया करती थीं. वह अपने पिता की लाडली बिटिया थीं. उनके बाबा दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच कलाकार व गायक थे. वह लता को इस कदर दुलार करते थे कि उनको अक्सर चिढ़ाते हुए ‘तता बाबा’ कहते थे. वे बचपन में गिल्ली-डंडा खेलती थीं और कई बार पिता के नाटकों की नकल घर में भाई-बहनों और सगे-संबंधियों के बीच किया करती थीं.
बचपन की कुछ अविस्मरणीय बदमाशियों का जिक्र उन्होंने एक इंटरव्यू में किया था कि किस तरह उन्होंने एक बार घर के बगल वाले दुकान में जाकर दुकानदार को दो खोटे आने देकर एक साबुन ठगा था. तब पिता ने इस गलती का एहसास कराने के लिए उसी समय दोबारा दुकान पर दो आने देकर लता को भेजा और कहा कि वह बिना माफी मांगे हुए घर न लौटे. लता ने वैसा ही किया. उसके बाद फिर उन्होंने जीवन में कभी ऐसी गलती नहीं दोहरायी. 1947 में आयी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ उन्हें गाने का पहला मौका मिला, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.