आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. गुजरात में 2 अक्तूबर 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने सत्य और अहिंसा का संदेश दिया. महात्मा गांधी पर कई फिल्में भी बनी है जिसमें उनके जीवन के कई पहलुओं को दिखाया गया है. उनके किरदार को बड़े पर्दे पर उतारना किसी भी कलाकार के लिए बहुत आसान नहीं रहा लेकिन उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ इस किरदार को जीया. इन फिल्मों को दर्शकों ने खूब सराहा. आज उनकी जयंती पर जानिये इन 5 फिल्मों के बारे में…
‘गांधी’
महात्मा गांधी के जीवन पर बनी फिल्म ‘गांधी’ साल 1982 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म को ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित रिचर्ड एटनबरो ने बनाई थी. फिल्म में हॉलीवुड एक्टर बेन किंस्ले ने गांधी जी का किरदार निभाया था. इसे गांधी जी के जीवन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना जाता है. बेस्ट फिल्मों में से एक है. मोहनदास करमचंद गांधी का किरदार निभाने के लिए बेन किंग्सले को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर भी मिल चुका है.
‘गांधी माई फादर’
यह फिल्म साल 2007 में बनी थी. यह फिल्म महात्मा गांधी और उनके बेटे हरिलाल के रिश्तों पर बुनी गई थी. फिल्म का निर्देशन अब्बास मस्तान ने किया था. फिल्म में गांधी का किरदार दर्शन जरीवाला ने निभाया था. इस फिल्म में उनके किरदार के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
‘राम’
महात्मा गांधी के अंतिम क्षण के शब्द ‘हे राम’ थे. जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी थी तो उस दौरान उनके आखिरी शब्द ‘हे राम’ ही थे. इस फिल्म में कमल हासन और नसीरुद्दीन शाह ने मुख्य भूमिका निभाई थी. एक ही फिल्म में दो दिग्गजों को देखना शानदार रहा. इस फिल्म की कहानी महात्मा गांधी की हत्या के इर्द-गिर्द बुनी गई थी.
‘मैंने गांधी को नहीं मारा’
इस फिल्म का निर्देशन जहनु बरुआ ने किया था. इस फिल्म ने अपने नाम से दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित किया था. साल 2005 में रिलीज हुई इस फिल्म ने दर्शकों के बीच एक अमिट छाप छोड़ी थी. फिल्म में अनुपम खेर, उर्मिला मातोंडकर और रजित कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस फिल्म से जुड़े कलाकारों को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.
‘लगे रहो मुन्नाभाई’
राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ कॉमेडी के माध्यम से अपने विचारों का मंत्र देने में कामयाब रहा. फिल्म में संजय दत्त, अरशद वारसी और विद्या बालन न मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म में संजय दत्त को अक्सर बापू दिखते थे. यूनाइटेड स्टेट नेशन में दिखाई जाने वाली यह पहली हिंदी फिल्म है. इस फिल्म ने भारत में ही नहीं यूएस में भी कई अहिंसात्मक आंदोलनों को प्रेरणा दी.