एक वक्त से सीरियस एक्शन फिल्मों को प्रमुखता देने वाले जॉन अब्राहम फिल्म ‘पागलपंती’ के जरिये एक बार फिर कॉमेडी करते नजर आयेंगे. वे साफ तौर पर कहते हैं कि कॉमेडी फैमिली ऑडिएंस की फिल्म है, इसलिए वे काफी समय से एक कॉमेडी फिल्म करना चाहते थे. पेश है जॉन अब्राहम की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
-‘पागलपंती’ से जुड़ने की वजह क्या थी?
पिछले कुछ समय से मैं सीरियस और एक्शन फिल्में कर रहा हूं. एक अरसे बाद मैं कॉमेडी फिल्म कर रहा हूं. बाटला हाउस के वक्त ही मैंने कहा था कि मुझे कॉमेडी फिल्म करनी है. बाटला हाउस अच्छी फिल्म थी, लेकिन बहुत भारी फिल्म थी. मैं चाहता हूं कि फैमिली के साथ-साथ बच्चे भी मेरी फिल्में देखें.
-‘हाउसफुल 4’ क्रिटिक को पसंद नहीं आयी, लेकिन दर्शकों ने फिल्म को काफी पसंद किया.
मुझे पता था कि फेस्टिव सीजन है तो लोग हंसना चाहेंगे. आप कुछ भी लिखो या कहो लोग फिल्म देखने जायेंगे ही. आप उस दिन किसी से पूछते तो उस दिन लोग यही कहते कि हां सुना है हाउसफुल के बारे में लेकिन फिल्म देखने जा रहे हैं क्योंकि फेस्टिव सीजन था लोगों को फिल्म देखना था. मैं अक्षय के लिए खुश हूं. वैसे मैं बताना चाहूंगा कि जब मैंने ‘हाउसफुल 2’ की थी तो मुझे अच्छी नहीं लगी थी. मुझे मेरे परफॉर्मेंस भी बहुत खराब लगा था, लेकिन फिल्म को देखते हुए आज भी लोग हंसते हैं. ऐसी फिल्मों की खासियत होती है कि दर्शक उन्हें एक नहीं बल्कि बार-बार देखना खहते हैं.
-फिल्म के प्रोमो में आप काफी डरपोक टाइप के लग रहे हैं.
(हंसते हुए). मैं रियल लाइफ में भी काफी डरता हूं. मैं किसी के साथ लड़ाई -झगड़ा पसंद नहीं करता. हां फिल्म में मुझे साढ़े साती के प्रकोप में दिखाया गया है. मैं साढ़े साती ये सबको नहीं मानता हूं. मुझे लगता है कि आप मेहनत करोगे तो सब कुछ ठीक हो जायेगा.
-आपको लगता है कि कॉमेडी आपकी इम्प्रूव हुई है?
‘वेलकम 4’ मेरी लास्ट कॉमेडी फिल्म थी. उस फिल्म के निर्देशक भी अनीस भाई ही थे. उन्होंने कहा कि तुम ‘पागलपंती’ में वेलक्म से 10 गुना ज्यादा अच्छा कर रहे हो. मेरा निर्देशक मुझसे ऐसा कह रहा इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है.
-प्रोडक्शन फ्रंट पर क्या कुछ चल रहा है?
जनवरी 4 से मेरी अगली फिल्म ‘अटैक’ शुरू हो रही है. यह एक्शन फिल्म है और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत है. मैंने डिस्ट्रीब्यूटर के साथ मिल कर काफी बात की. काफी रिसर्च किया. यही बात सामने आयी कि अगर ये फिल्म ‘15 अगस्त’ को आती है, तो दर्शकों को बहुत पसंद आयेगी. इसके अलावा एक दो फिल्मों पर और काम चल रहा है. विक्की डोनर, मद्रास कैफे, बाटला हाउस के पास जो मैंने बेंचमार्क बनाया है. उसे आगे एक लेवल बढ़ाना चाहूंगा. मैं अपनी फिल्मों से लोगों को एंटरटेन करने के साथ-साथ एडुकेट भी करना चाहूंगा. मेरे पिताजी की वजह से मैं भी पॉलिटिक्स की जानकारी रखता हूं. मेरी कोशिश होती है कि मेरी हर फिल्म में इसका हिंट हो. मैं किसी पार्टी के सपोर्ट या खिलाफ में नहीं बोलना चाहता, लेकिन मैं चाहता हूं कि कुछ बातें सभी को मालूम होनी चाहिए. उसका मुझे साइड इफेक्ट्स भी झेलना पड़ता है. मद्रास कैफे के बाद एक तमिल एक्टिविस्ट ने मुझसे पूछा था कि आपने प्रभाकरण को आंतकवादी क्यों कहा था. मैंने बोला क्योंकि उसने मेरे प्रधानमंत्री को मारा था. पोखरण से भी कईयों को दिक्कत थी, लेकिन लोगों को इतिहास जानना चाहिए.
-मतलब आप इस बात से सहमत हैं कि फिल्मों के जरिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है?
हां! बिल्कुल. एक्टर सिर्फ मॉडल नहीं होते हैं वह रोल मॉडल भी होते हैं. अगर राजनीति की आपको समझ और जानकारी है तो उस पर बात कीजिये नहीं है तो चुप रहिए. क्योंकि हिंदुस्तान अभी बहुत संवेदनशील है. आप कुछ भी बोल दोगे तो मामला बिगड़ सकता है. इसलिए जो भी बोलें पूरी जानकारी और रिसर्च के साथ बोलें. मैं ऐसे ही बोलता हूं वरना नहीं बोलता.
-फिल्म ‘दोस्ताना 2’ में आप नहीं हैं क्यों?
दोस्ताना कभी भी मेरी या अभिषेक की फिल्म नहीं थी वह हमेशा से करण जौहर की फिल्म थी. करण बहुत क्रिएटिव हैं. उन्होंने सोच समझकर ‘दोस्ताना 2’ फिल्म की होगी.
-क्या आपको बुरा नहीं लगता जब फ्रेंचाइजी फिल्म में आपको कास्ट नहीं किया जा रहा?
नहीं! मुझे बुरा नहीं लगता है. मेरी सोच अलग है. मैं चाहता हूं कि आगे चलकर मेरी फोर्स फ्रेंचाइजी मैं टाइगर श्रॉफ को देखना चाहूंगा. मैं खुद प्रोड्यूस करने को भी तैयार हूं.