इस दिवाली निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली ने 2021 की दिवाली के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक फिल्म ‘बैजू बावरा’ को रिलीज करने की घोषणा कर दी. फिलहाल इस रिवेंज म्यूजिकल ड्रामा फिल्म की कास्टिंग शुरू हो गयी है. जानते हैं आखिर इतिहास के पन्नों में कौन था बैजू बावरा, क्या थी उसके बदले की कहानी और भंसाली के पसंदीदा स्टार कौन हैं.
बैजू 16वीं शताब्दी के महान ध्रुपद गायक थे. वह ग्वालियर के महाराजा मानसिंह के दरबारी गायक थे. कहा जाता है कि बैजू की आवाज़ ऐसी थी कि पत्थर पिघल जाये, दीपक जल उठे और वर्षा होने लगे. उन्हें संगीत की यह इल्म उनके पिता से विरासत में मिली थी. किवदंती है कि अकबर के यहां हुई एक प्रतियोगिता में बैजू के पिता तानसेन से हार गये थे, जिसमें उन्हें मृत्यु दंड मिला था. युवा होकर बैजू ने इसी प्रतियोगिता में तानसेन को हराकर अपने पिता की मौत का बदला लिया था. हालांकि तानसेन को हराने के बाद अकबर से अभयदान दिलवा कर उन्होंने उसकी जान भी बचायी थी. बावरा नाम बैजू को प्यार में मिला था. संगीत और गायन के साथ साथ बैजू कलावती के प्यार में पागल थे, जिसकी वजह से लोग उन्हें बावरा कहते थे.
रणवीर सिंह चाह कर भी नहीं बन पाये ‘बैजू बावरा’
भंसाली ने हाल ही में अपनी फिल्म ‘बैजू बावरा’ की घोषणा की, जिसके बाद खबर आने लगी कि उन्होंने बैजू का किरदार अपने पसंदीदा अभिनेता रणवीर सिंह को ऑफर किया है. रणवीर को भी इस फिल्म की कहानी औऱ किरदार बेहद पसंद थे, लेकिन उनके पास डेट्स नहीं थे. अगले साल वह यशराज बैनर की फिल्म ‘जयेश भाई जोरदार’ में बिजी रहेंगे. इस कारण वह चाह कर भी ‘बैजू बावरा’ को समय नहीं दे पायेंगे. रणवीर के बाद अजय देवगन के नाम की भी चर्चा रही, पर वह भी किन्हीं कारणों से फाइनल नहीं हुए.
अब ताजा खबर के अनुसार भंसाली ने ॠतिक रोशन को इस रोल के लिए अप्रोच किया है. स्क्रिप्ट पढ़ने और भंसाली द्वारा नरेशन देने के बाद ॠतिक रोशन इस क्लासिकल फिल्म के लिए तैयार हो गये हैं. इस बात की जल्द ही औपचारिक घोषणा की जायेगी. यह फ़िल्म अगले साल के अंत तक शूटिंग फ्लोर पर जायेगी. अगर भंसाली के बैजू बावरा रितिक रोशन बनते हैं, तो निर्देशक और अभिनेता की यह जोड़ी नौ वर्षों के अंतराल के बाद एक साथ होगी. इससे पहले इस जोड़ी ने वर्ष 2010 में एक साथ फिल्म ‘गुजारिश’ के लिए काम किया था.
पहले भी बन चुकी है फ़िल्म
1952 में रिलीज हुई भारत भूषण और मीना कुमारी की फिल्म बैजू बावरा की कहानी भी बैजू के पिता की मौत के बदले पर ही थी. यह फिल्म उस साल की सफल फिल्मों में से एक थी. फिल्म के गाने भी बहुत लोकप्रिय हुए थे.