II उर्मिला कोरी II
फ़िल्म – पागलपंती
निर्देशक – अनीस बज्मी
कलाकार – जॉन अब्राहम,अरशद वारसी,अनिल कपूर,उर्वशी रौतेला, पुलकित सम्राट,कृति खरबंदा और अन्य
रेटिंग- डेढ़
कहानी के नाम पर कुछ नहीं और कॉमेडी के नाम पर उलजलूल हरकतें और संवाद पिछले कुछ समय से हिंदी सिनेमा में कॉमेडी फिल्मों की परिभाषा यही बन कर रह गयी है. कमाल की बात है कि ऐसी फिल्में सौ दो सौ करोड़ कमा भी ले रही हैं तो सभी इस भेड़चाल में लगे पड़े हैं. ‘हाउसफुल 4’ के बाद पागलपंती भी इसका ताजा उदाहरण है.
फ़िल्म की कहानी पर बात करना बेमानी सा लगता है क्योंकि फ़िल्म में कोई कहानी ही नहीं है. ज़बरदस्त स्टारकास्ट, खूबसूरत लोकेशन, दमदार एक्शन सीन्स सबकुछ है बस कहानी नहीं है. हां कहानी सारे फॉर्मूले को भुनाने की कोशिश ज़रूर हुई है।कॉमेडी वाली ये फ़िल्म देशभक्ति के मोड पर भी चली जाती है।जिससे सिर और पीटने का मन होता है।
कई अच्छी और कामयाब फिल्मों के लेखक रह चुके अनीस बज्मी को कहानी की ज़रूरत अपनी फिल्म के लिए क्यों नहीं लगी. ये बात समझ से परे लगती है. पागलपंती शीर्षक वाली इस फ़िल्म में मतलब के नाम पर कुछ नहीं है बस पागलपंती ही है।जो आपको एंटेरटेन नहीं बोर करती है.
अभिनय की बात करें तो जॉन अब्राहम की कॉमेडी में और मेहनत करने की अभी भी ज़रूरत है. फ़िल्म देखते हुए यह बात महसूस होती है. वो कॉमेडी फिल्म के अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला की कॉमिक टाइमिंग फ़िल्म में सबसे अच्छी है लेकिन दिक्कत ये है कि फ़िल्म की भीड़ वाली इस कास्टिंग में उन्हें ज़्यादा मौके नहीं मिले हैं. इनामुल हक़ भी अपने किरदार में मज़ेदार रहे हैं. अनिल कपूर माफिया के रोल में अपने चित परिचित अंदाज़ में नज़र आए हैं.
इलियाना डिक्रूज ठीक ठाक रही हैं. कृति अपने किरदार में मिसफिट लगती हैं तो उर्वशी को फ़िल्म में करने को कुछ नहीं था. बाकी के किरदार स्टारकास्ट के इस भीड़ में भी कुछ खास नहीं कर पाए हैं. फ़िल्म का गीत संगीत औसत है. कुलमिलाकर इस पागलपंती से दूर रहने में ही भलाई है.