सलमान खान एक बार फिर चुलबुल पांडे के अंदाज में रुपहले पर्दे पर नजर आनेवाले हैं. सलमान अपनी इस फिल्म को खास करार देते हैं. उनका मानना है कि यह उनके करियर की उन चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जिन्होंने न सिर्फ उनके करियर बल्कि हिंदुस्तानी सिनेमा का रूप-रंग बदल दिया था. उनकी इस फिल्म और दूसरे विषयों पर हुई बातचीत के अंश.
सलमान ने दबंग 3 के बारे में कहा- कहानी का आइडिया अरबाज का था. उसने कहा कि हम तक अब दो बार दबंग में चुलबुल को दिखा चुके हैं. अब चुलबुल को मुंबई लेकर आया जाए फिर लगा कि चुलबुल से सिर्फ दबंग नहीं है. कई सारे और भी किरदार हैं फिर अचानक मुझे आइडिया आया कि ये जो चुलबुल है, आखिर कैसे चुलबुल बना? लोग यह देखना चाहेंगे. मुझे खुद यह बात जानने की उत्सुकता थी कि आखिरकार ऐसा हुआ क्यों? तो हमलोग तीन लेकर आये हैं.
उन्होंने आगे कहा,’ इस बार आप देखेंगे कि जो दो दबंग में किरदार रहे हैं, वो कैसे फ्लैशबैक में एक दूसरे से कनेक्टेड हैं. चुलबुल का अतीत उसका पीछा नहीं छोड़ती और वर्तमान तो है ही. आपको पिछली बार से अधिक मजेदार लगेगी. इस बार सिर्फ चुलबुल पांडे चुलबुल पांडे नहीं हैं, वह कड़क पांडे भी है. (हंसते हुए) इस बार की स्टोरी मैंने लिखी है तो मुझे क्रिटिक के ऊपर पूरा भरोसा है.
सीक्वल सेफ है या नहीं ?
जैसे ही कोई सीक्वल फ़िल्म रिलीज होती है, ये चर्चा शुरू हो जाती है कि सीक्वल टिकट खिड़की पर सेफ होता है इसलिए निर्माता निर्देशक एक्टर इसे बनाते रहते हैं. मैं अपनी बात करूं तो क्या सेफ है और क्या नहीं सेफ है? मैं नहीं जानता हूं. आप इसे अपने आपमें पूरी फिल्म के रूप में देखिए और इंडिपेंडेंट फिल्म के रूप में देखिए तो भी ये आपका उतना ही मनोरंजन करेगी.
प्रभु नहीं बदले
प्रभु देवा ने इससे पहले मुझे वांटेड फिल्म में निर्देशित किया था, उस वक्त से अब तक प्रभु बिल्कुल नहीं बदले हैं. जैसे तब थे अब भी हैं. उस वक़्त भी सर सर कह कर बात करते थे, आज भी शॉट अच्छा न होने पर सर सर एक और टेक कह कर बात करते हैं. उनकी बात मैं पूरी तरह मानता था. प्रभु अच्छे एक्टर भी हैं. वह अपने से एक्टिंग करके सीन दिखाते हैं फिर हमलोग सीन करते हैं(हंसते हुए). मैं हर निर्देशक की बात सुनता हूं, ये भी नहीं है. यह बात निर्देशक पर भी निर्भर करती है कि वह कौन हैं? हालांकि वह निर्देशक कौन हैं, जिनकी मैं बात नहीं टालता, उनका यहां नाम नहीं लेना ठीक नहीं होगा.
दर्शक तय करें, मैं क्या करूं
मुझे अब अपनी उम्र वाले किरदार करने चाहिए. यह बात अक्सर सुनने को मिलती है(हंसते हुए). इन सवालों पर मेरा जवाब होता है यानी कि कॉलेज वाली फिल्में ही करूं? मैं पागल थोड़ी हूं कि खुद की मर्जी वाले रोल करूंगा. यह तो ऑडियंस पर निर्भर करता है कि वह मुझे कब तक और किस रोल में देखना पसंद करती है? वो जब तक पसंद करेगी करूंगा. भारत में मैंने 72 साल के बुजुर्ग का भी रोल निभाया तो इसमें क्या है? ऑडियंस को तय करने दीजिए. मुझे लगता है कि मैं अभी भी अच्छा खासा रोमांस और एक्शन कर लेता हूं.