सिनेमा में ”फ्लैशबैक” की शुरुआत करनेवाले पीसी बरुआ

आजादी के पूर्व भारतीय सिनेमा में असमिया निर्देशक प्रथमेश चंद्र बरुआ का नाम उल्लेखनीय रखा है. वे सिनेमा में नये-नये प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं. अभिनेता, निर्देशक और सिनेमाटोग्राफर के तौर पर सिनेमा में कई नयी बातें जोड़ीं. इनमें फिल्मों में फ्लैशबैक शुरू करने का श्रेय पीसी बरुआ को ही जाता है. उन्होंने सबसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2019 12:11 PM

आजादी के पूर्व भारतीय सिनेमा में असमिया निर्देशक प्रथमेश चंद्र बरुआ का नाम उल्लेखनीय रखा है. वे सिनेमा में नये-नये प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं. अभिनेता, निर्देशक और सिनेमाटोग्राफर के तौर पर सिनेमा में कई नयी बातें जोड़ीं. इनमें फिल्मों में फ्लैशबैक शुरू करने का श्रेय पीसी बरुआ को ही जाता है. उन्होंने सबसे पहले इसका प्रयोग ‘रुपरेखा’ में किया था. फिल्म भले न चली, मगर फ्लैशबैक का सिलसिला इस कदर चल पड़ा कि आज तक जारी है.

वे विदेशी फिल्में बहुत देखते थे. उस दौर में यूरोप जाकर सिनेमाटोग्राफी और आर्टिफिशियल लाइटिंग की टेक्निक सीखी, जिन्हें भारत आकर बखूबी प्रयोग करने लगे. बरुआ को शरतचंद्र के उपन्यास पर आधारित केएल सहगल अभिनीत हिंदी फिल्म ‘देवदास’ (1936) बनाने के लिए खास तौर से जाना जाता है. इसी के बांग्ला वर्जन में उन्होंने खुद लीड रोल प्ले किया.

इस फिल्म ने न सिर्फ सहगल को शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचाया, बल्कि बरुआ को भी हिंदी फिल्मों के पटल पर बतौर निर्देशक स्थापित किया.

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