- फिल्म – दबंग 3
- निर्देशक – प्रभु देवा
- कलाकार – सलमान खान, सोनाक्षी सिन्हा, किच्चा सुदीप, सई मांजरेकर
- रेटिंग – ढाई
उर्मिला कोरी
सलमान खान के स्टारडम को एक नयी ऊंचाई देने वाली फिल्मों में ‘दबंग’ फ्रेंचाइजी की फिल्मों का खास योगदान रहा है. ‘दबंग 3’ इसी फ्रेंचाइजी की तीसरी किश्त है. पहली किश्त ने एंटरटेनमेंट का जो बेंचमार्क स्थापित किया था, बाद की दोनों फिल्में सिर्फ उसके नाम को भुनाती नजर आयी हैं, काम को दोहराती नहीं.
‘दबंग 3’ की कहानी अतीत में इस बार गयी है. पहले पार्ट में जो कहानी थी, उससे आगे की कहानी और मौजूदा वर्तमान भी. कहानी की शुरुआत में चुलबुल पांडे एक केस को सुलझाने में खूंखार माफिया सरगना बाली (किच्चा सुदीप) से मिलता है और उसका बीता हुआ कल उसके सामने आ जाता है. रज्जो से पहले भी चुलबुल को एक लड़की (खुशी) से प्यार हुआ था, लेकिन बाली ही वो इंसान था जिसकी वजह से चुलबुल से उसका प्यार छिन गया था. एक बार फिर बाली चुलबुल की जिंदगी में तूफान लाने वाला है. क्या इस बार वो अपने अपनों को बचा पायेगा और अपने अतीत के जख्मों का बदला बाली से चुका पायेगा? यही फिल्म की कहानी है.
इस बार फिल्म की कहानी लिखने की टीम में सलमान खान का नाम भी जुड़ गया है. सलमान खान का नाम इससे पहले फिल्म ‘बागी’, ‘सूर्यवंशी’ जैसी फिल्मों से बतौर लेखक जुड़ चुका है. कहानी के नाम पर यहां भी वही मामला है. इस मसाला फिल्म की कहानी में इस बार नोटबंदी, दहेज और पानी संरक्षण के मुद्दे को जोड़ा गया है लेकिन दबंग की कहानी फिर भी बेरंग रह गयी है. पहले पार्ट की तरह मजेदार नहीं बन पायी है. फिल्म की लंबाई और मामला खराब कर देती है.
फिल्म के शुरुआत से ही आप पूरी कहानी का अंदाजा लगा सकते हैं. कहानी की उपेक्षा की गयी है. सलमान अपनी इस फिल्म में भी कहानी से बड़े नजर आये हैं. पहले सीन से लेकर आखिरी सीन तक सलमान के लार्जर दैन लाइफ इमेज से कहानी को ट्रीट किया गया है. सलमान के स्वैग, स्टाइल और शर्टलेस बॉडी के जरिये फिल्म को उठाने की कोशिश की गयी है. कई सीन्स ऐसे बन भी पड़े हैं जिसमें आपको तालियां और सीटियां बजाने का भी मन करेगा लेकिन कई दृश्यों को देखकर ऊब भी होगी कि क्यों इन्हें फिजूल ही खिंचा जा रहा है.
अभिनय की बात करें, तो सलमान खान अपने चित-परिचित अंदाज में नजर आये हैं. वे चुलबुल के किरदार को कुछ इस तरह आत्मसात कर गये हैं कि वह बखूबी उसकी हर खूबियों को पर्दे पर ले आते हैं, जिससे दर्शकों का मनोरंजन कर सकें.
किच्चा सुदीप ने शानदार अभिनय किया है. वे खलनायक के किरदार को अपने अभिनय से प्रभावी बनाते हैं. नवोदित अभिनेत्री सई का अभिनय ध्यान खींचता है. वे फिल्म में प्यारी और आत्मविश्वास से लबरेज नजर आयी हैं. जिसके लिए उनकी तारीफ करनी होगी. सोनाक्षी को फिल्म में कम स्पेस मिला है. चूंकि ‘दबंग’ सीरीज की फिल्म है, तो उन्हें रहना ही था. उनकी मौजूदगी इसी बात का एहसास कराती है. अरबाज खान ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.
पिछली दोनों किश्तों के मुकाबले ‘दबंग 3’ का गीत-संगीत कमतर रह गया है. ‘मुन्ना बदनाम…’ को ‘मुन्नी बदनाम…’ या ‘फेविकॉल…’ जैसी लोकप्रियता नहीं मिल पायी है. फिल्म में जरूरत से ज्यादा गाने हैं. कई बार वे फिल्म की गति को ना सिर्फ बाधित करते हैं, बल्कि फिल्म की लंबाई को बढ़ाते भी हैं.
फिल्म के दूसरे पहलू की बात करें, तो संवाद ‘दबंग’ सीरीज की खासियत रहा है. जो हंसाते हैं और चुलबुल के स्वैग को बयां करते रहे हैं, लेकिन इस बार के संवाद कहानी की तरह ही कमजोर रह गए हैं. फिल्म का एक्शन अच्छा है. स्लो मोशन अंदाज में उनकी प्रस्तुति दिलचस्प है.
कुल मिलाकर सलमान खान का चार्म अगर आपके लिए फिल्म की कहानी से ज्यादा मायने रखता है तो ‘दबंग 3’ आपके लिए है.