16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिंसाग्रस्त जेएनयू जाने पर VHP पदाधिकारी ने मांगी दीपिका पादुकोण से सफाई

इंदौर (मध्य प्रदेश) : दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हालिया हिंसा के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के जेएनयू पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि दीपिका को स्पष्ट करना चाहिए कि वह वहां किसके साथ एकजुटता दिखाने गई थीं. विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे […]

इंदौर (मध्य प्रदेश) : दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हालिया हिंसा के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के जेएनयू पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि दीपिका को स्पष्ट करना चाहिए कि वह वहां किसके साथ एकजुटता दिखाने गई थीं.

विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, "महत्वपूर्ण बात यह है कि दीपिका जेएनयू के किन विद्यार्थियों के साथ एकजुटता दिखा रही हैं? हालिया हिंसा के वक्त वहां दो तरह के विद्यार्थी थे. एक तबका विद्यार्थियों पर हमला कर रहा था, जबकि दूसरा वर्ग हमलावरों से उनकी सुरक्षा का प्रयत्न कर रहा था."

उन्होंने पूछा, "क्या वह (दीपिका) उन लोगों के साथ एकजुटता दिखा रही हैं जो जेएनयू में गलत काम कर रहे हैं?" परांडे ने जोर देकर कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और 34 वर्षीया अभिनेत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि वह जेएनयू विद्यार्थियों के किस तबके के साथ हैं.

जेएनयू हिंसा मामले में केंद्र सरकार पर बॉलीवुड निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप के तीखे हमलों के बारे में पूछे जाने पर विहिप महामंत्री ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, "मुझे लगता है कि इस तरह का रुख रखना कुछ लोगों के लिए फैशनेबल बात हो गई है. अगर कोई भी व्यक्ति देशहित के खिलाफ बात करता है, तो यह सरासर गलत है और इसे हम कतई स्वीकार नहीं कर सकते, भले ही ये बातें कितनी भी बड़ी और मशहूर हस्तियों के मुंह से निकली हों."

परांडे ने कहा, "इन दिनों जिस तरह देश विरोधी ताकतों द्वारा एक साजिश के तहत जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में हिंसा का उपयोग किया जा रहा है, उसे मैं बेहद खतरनाक मानता हूं. इन परिसरों में हिंसक आंदोलनों का आह्वान करने वाले लोगों को सजा मिलनी चाहिए."

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की जोरदार पैरवी करते हुए विहिप महामंत्री ने कहा कि वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के वक्त खासकर हिंदुओं और सिखों के साथ "ऐतिहासिक अन्याय" किया गया था. इस नाइंसाफी को दूर करने के लिए भारत सरकार द्वारा सीएए के जरिए अच्छा कदम उठाया गया है.

उन्होंने कहा, "भारत के कुछ राजनीतिक दल और साम्यवादी शक्तियां सीएए की आड़ में हिंसा भड़काते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण का प्रयास कर रही हैं, जबकि देश के मुसलमानों से इस कानून का कोई संबंध ही नहीं है. यह किसी व्यक्ति की नागरिकता छीनने वाला नहीं, बल्कि पड़ोसी मुल्कों में धार्मिक आधार पर सताए गए लोगों को नागरिकता देने वाला कानून है."

गौरतलब है कि सीएए के अनुसार 31 दिसम्बर, 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन हेतु पात्र बनाने का प्रावधान है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें