तेजाब हमले की पीड़िताओं को सहानुभूति नहीं चाहिए, वे पीड़ित नहीं हैं: मेघना गुलजार
नयी दिल्ली : ‘‘छपाक’ फिल्म की निर्देशक मेघना गुलजार ने कहा कि तेजाब हमले की पीड़िताओं को सहानुभूति नहीं चाहिए और उनकी फिल्म की नायिका भी पीड़ित नहीं है. मेघना ने कहा कि वह नहीं मानती कि उन्हें उन धारणाओं को संतुष्ट करने की जरूरत है जहां इस तरह के हमले की किसी कहानी में […]
नयी दिल्ली : ‘‘छपाक’ फिल्म की निर्देशक मेघना गुलजार ने कहा कि तेजाब हमले की पीड़िताओं को सहानुभूति नहीं चाहिए और उनकी फिल्म की नायिका भी पीड़ित नहीं है. मेघना ने कहा कि वह नहीं मानती कि उन्हें उन धारणाओं को संतुष्ट करने की जरूरत है जहां इस तरह के हमले की किसी कहानी में ‘‘त्रासदी और सहानुभूति’ होनी चाहिए.
‘‘छपाक’ तेजाब हमले की पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित है. यह फिल्म 10 जनवरी को रिलीज हुई और इसने आलोचकों से काफी तारीफें बटोरी हैं. दीपिका पादुकोण फिल्म में मालती के मुख्य किरदार में है. इसमें पत्रकार से सामाजिक कार्यकर्ता बने अमोल की भूमिका में विक्रांत मेसी हैं और मधुरजीत सर्घी ने वकील अर्चना बजाज का किरदार निभाया जिन्होंने लक्ष्मी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ी.
मेघना ने कहा, ‘‘जब लक्ष्मी खुद पीड़िता नहीं है तो मैं उन्हें इसलिए पीड़ित नहीं दिखा सकती थी कि मुझे कुछ उम्मीदों या धारणा को संतुष्ट करना है क्योंकि यह एक पीड़िता की फिल्म है जिसमें त्रासदी और सहानुभूति की जरूरत है.’
उन्होंने फिल्म में अमोल और मालती के बीच एक अहम बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘किसी तेजाब हमलावर का कोई शारीरिक प्रोफाइल नहीं होता। पति तेजाब हमला कर रहे हैं, मकान मालिक कर रहे हैं, पूर्व पत्नियां कर रही हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कोई प्रोफाइल नहीं है और यह ज्यादा खतरनाक है और इस लिए विक्रांत की बात बहुत महत्वपूर्ण है.’
46 वर्षीय निर्देशक ने कहा कि उन्होंने मालती (लक्ष्मी) की कहानी दिखाने के लिए विषम कहानी चुनी जो 2012 के दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि से शुरू होती है. मेघना ने कहा, ‘‘मैं सिलसिलेवार नहीं बताना चाहती थी कि उनका जन्म हुआ, वह लड़की है, ये उनके सपने, आकांक्षाएं हैं और वह बहुत सुंदर है लेकिन फिर यह हुआ क्योंकि किरदार खुद पीड़ित नहीं है.’
उन्होंने कहा कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण था कि दर्शक खुद को मालती से जोड़कर देखे. अतिका चौहान के साथ ‘‘छपाक’ की कहानी लिखने वाली मेघना ने फिल्म में दो बार तेजाब हमले को दिखाया.
यह पूछने पर कि ऐसा क्यों किया, इस पर मेघना ने कहा, ‘‘ वह इसके नतीजों पर ध्यान केंद्रित रखना चाहती थी कि इसके बाद क्या होता है…वह व्यक्ति और परिवार किन हालात से गुजरता है, वे क्या करते हैं, वे कैसे टूट जाते हैं और कैसे अपने आप को खड़ा करते है.’ फिल्म निर्देशक ने कहा कि उन्होंने निर्भया प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में फिल्म की शुरुआत की क्योंकि तेजाब हिंसा का मुद्दा उसके बाद ही सामने आया.