II उर्मिला कोरी II
फ़िल्म: स्ट्रीट डांसर 3डी
निर्देशक: रेमो डिसूजा
कलाकार: वरुण धवन,श्रद्धा कपूर,नोरा फतेही,प्रभु देवा,धर्मेश,राघव,सलमान यूसुफ और अन्य
रेटिंग: दो
मौजूदा दौर में डांस शैली की फिल्मों को एक नया आयाम देने वाले निर्देशक रेमो डिसूजा एबीसीडी और एबीसीडी 2 के बाद फ़िल्म स्ट्रीट डांसर 3डी लेकर आए हैं. रेमो इसे एबीसीडी का सीक्वल नहीं बिल्कुल अलग फ़िल्म करार देते हैं. फ़िल्म का नाम ज़रूर बदल गया है लेकिन फ़िल्म एबीसीडी का हैंगओवर ही लगती है. फ़िल्म के कई दृश्य दोनों फिल्मों की याद दिलाती है.
फ़िल्म के क्लाइमेक्स में भी एबीसीडी का गाना बेजुबान का इस्तेमाल किया गया है. इस बार डांस,कॉम्पिटिशन के साथ साथ कहानी में देशभक्ति, सामाजिक मुद्दा,भारत और पाकिस्तान को संदेश ये सब जोड़ने के चक्कर में पूरा मामला गड़बड़ हो गया है.
फ़िल्म की कहानी का बैकड्रॉप लंदन है. सहज (वरुण धवन) भारत और इनायत ( श्रद्धा कपूर) पाकिस्तान से हैं. भारत के लड़कों का डांसिंग ग्रुप स्ट्रीट डांसर है तो पाकिस्तानियों का रूल ब्रेकर. दोनों रहते तो लंदन में लेकिन रिश्ते हिंदुस्तान और पाकिस्तान वाले ही है. हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाने का एक मौका नहीं छोड़ते हैं. कभी डांस के ज़रिए तो कभी क्रिकेट के ज़रिए.
कहानी में नया मोड़ तब आता है जब जीरो ग्राउंड बैटल डांस कॉम्पिटिशन आता है जहां दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ डांस टीम हिस्सा लेती है. प्राइज मनी बहुत है लेकिन इस डांस कॉम्पिटिशन को जीतने का मकसद सहज और इनायत के लिए अलग अलग है. सहज अपने लिए जीतना चाहता है जबकि इनायत अपनों के लिए.
दरअसल इनायत लंदन में रह रहे भारत,पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे देशों के इल्लीगल इमिग्रेंट्स को वापस उनके देश भेजना चाहती है जिसके लिए उसे इस प्राइज मनी की ज़रूरत है. ये डांस कॉम्पिटिशन इतना टफ है कि यहां जीत तभी होगी अगर इनायत का साथ सहज देगा. दोनों मिलकर एक बेहतरीन टीम बना सकते हैं. क्या भारत और पाकिस्तान एक होगा. यही आगे की कहानी है.
फ़िल्म की कहानी में बहुत झोल हैं. फ़िल्म में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न जोड़े गए हैं. ढेर सारे सब प्लॉट भी है. जिससे फ़िल्म उलझ कर रह जाती है. कई सवालों के जवाब नहीं मिलते हैं. धवन का किरदार अचानक से नोरा फतेही को छोड़ क्यों श्रद्धा से प्यार करने लगता है.
अपारशक्ति और उनके दोस्त खुद से लंदन आना चाहते हैं ऐसे में वो वरुण के किरदार को क्यों दोषी साबित करने लगते हैं. फ़िल्म का फर्स्ट हाफ बहुत कमजोर है सेकंड हाफ में थोड़ी कहानी सेंसिबल होती है लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है. फ़िल्म के इमोशनल पहलू भी अधपका सा है.जिससे कनेक्शन नहीं जुड़ पाता है.
अभिनय की बात करें तो वरुण धवन और श्रद्धा कपूर ने अपने डांस पर बहुत मेहनत की है.जी हां डांस की फ़िल्म है तो एक्टिंग पर कम डांस पर ही पूरा फोकस होता है. जिसमें उनकी मेहनत दिखती हैं हां इमोशनल सीन्स में वे चूक गए हैं. नोरा फतेही की कास्टिंग बेहतरीन रही है. प्रभु देवा,धर्मेश,राघव,सलमान यूसुफ डांसर्स की जमात ने हमेशा की तरह अच्छा काम किया है. उन्हें अपने डांस मूव्स दिखाने का भरपूर मौका मिला है.
फ़िल्म के डांस सीक्वेंस ही हैं जो फ़िल्म को देखने को मजबूर करते हैं लेकिन इसके साथ ही ये बात भी कहानी होगी कि सोशल मीडिया के इस दौर पर हम लगातार अपने मोबाइल पर देश विदेश का बेहतरीन डांस मूव्स देख रहे हैं. जिस वजह से फ़िल्म में ऐसा कोई डांस मूव नज़र नहीं आया जिससे वाउ निकल जाए. वो देखे हुए से ही लगते हैं.
गीत संगीत की बात करें तो सचिन जिगर,बादशाह, तनिष्क बागची और गुरु रंधावा जैसे भारी भरकम नामों वाली टीम ने मिलकर बनाया है लेकिन असल रंग 94 के गाने मुकाबला ने ही जमाया है. फ़िल्म के संवाद बहुत ही कमज़ोर हैं तो एडिटिंग पर और मेहनत करने की ज़रूरत थी. सिनेमाटोग्राफी और थ्री डी औसत है.