पढे रिव्‍यूः अक्षय का ”एंटरटेनमेंट”

#अनुप्रिया अनंत# फिल्म रिव्यू : एंटरटेनमेंट कलाकार : अक्षय कुमार, तमन्ना, मिथुन चक्रवर्ती, अभिषेक क्रष्णा निर्देशक : साजिद फरहाद रेटिंग : 3 स्टार लेखक से निर्देशक बने साजिद फरहाद की पहली फिल्म ‘एंटरटेनमेंट’ लंबे अरसे के बाद आयी एक भावनात्मक फिल्म है. लंबे अरसे के बाद किसी हास्य फिल्म में बिना सिर पैरे के संवाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2014 4:35 PM

#अनुप्रिया अनंत#

फिल्म रिव्यू : एंटरटेनमेंट

कलाकार : अक्षय कुमार, तमन्ना, मिथुन चक्रवर्ती, अभिषेक क्रष्णा

निर्देशक : साजिद फरहाद

रेटिंग : 3 स्टार

लेखक से निर्देशक बने साजिद फरहाद की पहली फिल्म ‘एंटरटेनमेंट’ लंबे अरसे के बाद आयी एक भावनात्मक फिल्म है. लंबे अरसे के बाद किसी हास्य फिल्म में बिना सिर पैरे के संवाद नहीं थे. साजिद फरहाद ने इससे पहले गोलमाल सीरिज, बोल बच्चन जैसी फिल्में लिखी थीं और निस्संदेह इन दोनों फिल्मों की खूबी यही रही है कि फिल्म के संवाद में हास्य है. और यही वजह है कि साजिद फरहाद जब अब निर्देशक बन कर आये हैं तो उन्होंने एंटरटेनमेंट में वाकई मनोरंजन भरने की पूरी कोशिश की है.

एंटरटेनमेंट के असली हीरो एक वफादार कुत्ता है. इससे पहले हिंदी सिनेमा में तेरी मेहरबानियां में एक वफादार कुत्ते के इर्द गिर्द घूमती कहानी थी. एंटरटेनमेंट भी उसी तर्ज पर बनी फिल्म है. कुत्ते इंसान से ज्यादा वफादार होते हैं. इस फिल्म की खासियत यह दिखाई गयी है कि कुत्ता जिसका नाम एंटरटेनमेंट है वह सिर्फ अपने मालिक के प्रति वफादार नहीं था, बल्कि मालिक के आगे आने वाले पुस्तों के लिए भी वह अपना फर्ज निभाता है.

इस फिल्म की यह खासियत है कि कॉमेडी के बहाने एक अच्छा संदेश देने की भी कोशिश की गयी है कि हम इंसानों में दरअसल जानवरों वाला व्यवहार है. हम लालची हैं और लालच के चक्कर में हम कुत्‍तों सी हरकत कर देते हैं. लेकिन कुत्‍तों में जो इंसानियत होती है. वह इंसानों में नहीं होती. अखिल लोखंडे को अचानक पता चलता है कि वह 3000 मिलियन करोड़ के मालिक का नाजायज बेटा है. और पिता की मौत के बाद सारी जायदाद उसे मिल जायेगी.

लेकिन अफसोस मालिक ने सारी जायदाद एक कुत्ते के नाम कर दी है. अखिल कुत्ते को मारना चाहता है. लेकिन वक्त पर कुत्ते ने मालिक के बेटे की जान बचायी और इसी बात ने अखिल को बदल कर रख दिया. वह एंटरटेनमेंट के प्रति वफादार हो गया. फिल्म में कई संवादों से निर्देशक ने दर्शाने की कोशिश की है कि हम कितने मतलबी हो चुके हैं. हम किस तरह इंसानियत भूल चुके हैं. फिल्म के अंतिम कुछ दृश्यों में अखिल और उनके कुत्ते के बीच के भावनात्मक दृश्य दिल को छूते हैं.

बस कुछ मेलोड्रामा अगर कम होता तो फिल्म एक भावनात्मक टच के साथ खत्म होती और दर्शकों के साथ अधिक वक्त तक फिल्म साथ रहती. लेकिन हिंदी सिनेमा की यह विडंबना है कि हम कॉमेडी फिल्मों में ट्रेजडी या सैड एंडिंग से डरते हैं. हम बेमतलब अति दृश्य जोड़ना शुरू कर देते हैं. और यही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है.

साजिद फरहाद ने क्रष्णा अभिषेक के माध्यम से कई फिल्मों की अलग पैरोडी बनाई है और वह रोचक है. अक्षय कुमार ने लंबे अरसे के बाद किसी मिनिंगफुल कॉमेडी फिल्म में काम किया है. फिल्मों में द्विअर्थी संवाद नहीं है. साजिद फरहाद निर्देशक के रूप में भी खरे उतरेंगे और आने वाले समय में अलग अंदाज की कॉमेडी प्रस्तुत करते रहे तो वह महारथ हासिल कर लेंगे. बशर्ते वह भी भेड़चाल में न फंसे. एंटरटेनमेंट पूरे परिवार और दोस्तों के साथ देखी जानेवाली साफ सुथरी और मनोरंजक फिल्म है.

Next Article

Exit mobile version