क्या ”कौम दे हीरे” से बिगड़ जाता देश का माहौल?
नयी दिल्ली : पंजाबी भाषा में बनी फिल्म ‘कौम दे हीरे’ के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. खबरों की माने तो महिनों इंतजार के बाद यह फिल्म 22 अगस्त को रिलीज होने वाली थी. फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास कराने के लिए एक लाख की घूस दी गई थी. खुफिया एजेंसी ने […]
नयी दिल्ली : पंजाबी भाषा में बनी फिल्म ‘कौम दे हीरे’ के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. खबरों की माने तो महिनों इंतजार के बाद यह फिल्म 22 अगस्त को रिलीज होने वाली थी. फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास कराने के लिए एक लाख की घूस दी गई थी. खुफिया एजेंसी ने भी इस फिल्म के प्रदर्शन से खतरे की आशंका जताई थी.
रिलीज के ठीक एक दिन पहले सरकार ने कानून व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों पर बनी विवादित पंजाबी फिल्म ‘कौम दे हीरे’ के रिलीज पर रोक लगा दी है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म देखने के बाद मिलकर यह फैसला किया. सेंसर बोर्ड प्रमुख लीला सैमसन ने यहां गृह मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर फिल्म की समीक्षा करने के बाद कहा, ‘‘हमने फिल्म देखी और फैसला किया कि यह शुक्रवार को रिलीज नहीं होगी.’’
गृह मंत्रालय ने फिल्म की विषयवस्तु को लेकर आपत्ति और गंभीर चिंता जताई और सूचना प्रसारण मंत्रालय से इस फिल्म को रिलीज के लिए दी गई मंजूरी पर पुनर्विचार करने के लिए कहा. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को लिखे पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि यह फिल्म पंजाब और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है.
सूत्रों ने बताया कि फिल्म दिवंगत प्रधानमंत्री के हत्यारों बेअंत सिंह, सतवंत सिंह और केहर सिंह पर कथित तौर पर आधारित है. इसमें कथित तौर पर उनके कृत्य का महिमामंडन किया गया है. उनको फिल्म में हीरो की तरह दिखाया गया है. ऐसी खबरें हैं कि सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार ने कथित तौर पर एक लाख रपये की रिश्वत लेकर फिल्म को हरी झंडी दे दी थी. कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में हाल में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.