साल 2013 में बनी एक डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘काटियाबाज’मेंदेशकीबिजली संकट को बेहतरीन ढंग से दिखाने की कोशिश की गई है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि बिजली की आंख-मिचौली से परेशान लोगों को बचाने कानपुर का रहने वाला लोहा सिंह नाम का यह शख्स लोगों के लिए मशीहा बन कर सामने आता है. 61 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ खोजी फिल्म और 2013 में न्यूयार्क के ट्रिबेका में बेहतरीन डाक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में नामंकित हुई यहडाक्यूमेंट्रीफिल्म भारत देश में बिजली संकट से जुझते हुए लोगों की कहानी बयां करती है.
अच्छी खबर यह है कि दुनियाभर के 50 फिल्म समारोहों में प्रदर्शित की गई इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को बडे पर्देपरलाने की जिम्मेदारी निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप ने ली. डेढ साल की सूटिंग के बाद यह फिल्म बनकर तैयार हो गई है और इस शुक्रवार से सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जा रही है. इस फिल्म के बारे में अनुराग कश्यप से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि फिल्म तो पूरी हो गई लेकिन उन्हे डर था कि कानपुर जैसे शहर और वहां कि बिजली समस्या को कौन टिकट लेकर लेकरदेखने के लिए आएगा. लेकिन उन्होंने बताया कि इस डाक्यूमेंट्री फिल्म की निर्देशक फहद मुस्तफा और दीप्ति कक्कड़ की जिद ने इसे बडे पर्दे पर लाने में काफी सहयोग दिया.
फिल्म फेस्टिवल में अपनी पहचपन बनाने वाली इस फिल्म की कहानी आपको दिलचस्प लगेगी. इस फिल्म की कहानी कानपुर में बिजली संकट से पीडित लोगों की मुश्किलें बयां करती हैं जहां लोहा सिंह नाम का एक छोटे से कद का इंसान मसीहा बनकर आता है और सभी की मुश्किलें हल करता है. यह इंसान कोई बिजली उत्पादन नहीं करता है बल्कि अपने जान को जोखिम में डालकर बिजली की चोरी करता है और वहां के लोगों को बिजली देता है.