निर्देशक विशाल भारद्वाज की बहुचर्चित फिल्म हैदर अंतत: बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो गयी. यह कहना गलत होगा कि फिल्म में कोई खूबी नहीं है लेकिन यह फिल्म दर्शकों को बांधें रखने में सफल नहीं होगी.
हैदर से पहले विशाल भारद्वाज ने ओंकारा और मकबूल भी बनायी थी, जो हर वर्ग के दर्शकों को लुभाती थी, लेकिन हैदर एक क्लास की फिल्म नजर आती है. ह्यहैदरह्ण की कहानी 1995 में कश्मीर के दर्दनाक हालात बयां करती है.
हैदर ठान लेता है कि वह अपने पिता को ढूंढ़कर रहेगा और अपनी मां गजाला (तब्बू) पर बुरी नजर डालने वाले से इंतकाम लेगा. इस काम में उसकी मदद करती है अर्शी (श्रद्धा कपूर), जो एक पत्रकार है और उसकी बचपन की दोस्त भी. एक दिन अर्शी को एक अनजान व्यक्ति मिलता है, जो अपना नाम रूहदार (इरफान खान) बताता है.
वो अर्शी को एक फोन नंबर देकर कहता है कि हैदर को कहे कि वो उसे फोन करे, क्योंकि वह उसके पिता का पता जानता है. रूहदार से मिलकर हैदर को पता चलता है कि उसके पिता की मौत हो चुकी है और उनकी गिरफ्तारी एक साजिश थी, जिसमें खुर्रम (केके मेनन) और अर्शी के पिता का हाथ था.