जब हम नये घर में शिफ्ट हुए, तो हमने हवन कराया और कुरानखानी भी हुई. पवित्र जल का छिड़काव भी पुजारियों और मौलवियों ने किया. मैं चर्च भी जाता हूं और करीना मेरे साथ दरगाह पर सजदां भी करतीं हैं.
मेरा यह मानना है कि भगवान एक है, भले ही उसकी इबादत के तरीके अलग हैं. यह कहना है बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सैफ अली खान का. सैफ अली ने एक हिंदू अभिनेत्री करीना कपूर से शादी की है. उन्होंने बताया कि जब हमदोनों ने शादी का निश्चिय किया, तो हमें काफी धमकियां मिलीं, लेकिन हमदोनों को खुद पर भरोसा था, इसलिए हम दोनों ने शादी की और आज हम खुश है.
सैफ का कहना है कि मैं एक खिलाड़ी का बेटा हूं.मैं इंग्लैंड, भोपाल, पटौदी, दिल्ली और मुंबई में पला-बढ़ा हूं. मैं यह महसूस करता हूं कि किसी भी अन्य भारतीय से मैं ज्यादा भारतीय हूं क्योंकि मेरे अंदर हिंदू और मुसलमान दोनों का खून है. मैं यह बात उन लोगों के लिए नहीं कह रहा, जो देश में सांप्रदायिकता की आग फैलाते हैं, बल्कि इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज यह मामला मेरे दोस्तों और परिवारवालों के बीच चिंता का विषय है.
मेरे माता-पिता ने अंतरधार्मिक विवाह किया था. मेरे पिता राजघराने से हैं और मुसलमान थे, जबकि मां हिंदू ब्राह्मण हैं. दोनों ही परिवारों की अपनी मान्यता थी और उन्हें सहजता से विवाह का अधिकार नहीं मिला था. उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली थी. लेकिन उनदोनों ने शादी की. हम वास्तविक जीवन की रोमांटिक कहानी के बीच पले-बढ़े हैं, हमारे माता-पिता के लिए उनका प्यार परंपराओं से ज्यादा मायने रखता था. हम यह मानते हैं कि कई नामों के बावजूद भगवान एक है.
जब करीना और मैंने विवाह का निर्णय लिया, तो इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया. हमें जान से मारने की धमकी मिली. लेकिन हमारा प्यार जीता. हमदोनों एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं उनका अनुसरण करते हैं. मैं यह मानता हूं कि हमारे बच्चे भी ऐसा ही करेंगे. इन दिनों एक अजीब सा फितूर समाज में फैलाया जा रहा है लव जिहाद.
मैं मानता हूं कि यह बकवास है. किसी दूसरे धर्म की लड़की या लड़के से शादी कोई जिहाद नहीं है. आखिर धर्म क्या है? लोगों का विश्वास क्या है. मैं इसे सही तरीके से परिभाषित भले ही न कर पाऊं, लेकिन मैं यह मानता हूं कि ईश्वर एक है और व नफरत नहीं प्रेम सिखाता है.
आज हमारे समाज में कोई अच्छा व्यक्ति किसी मुस्लिम से अपनी लड़की की शादी करने से डरता हूं. इसका कारण यह है कि आज इस्लाम में कई खामियां हैं. बहुविवाह, तलाक जैसी परंपराएं आज के समाज के खांजे में फिट नहीं बैठतीं हैं, मैं यह मानता हूं कि आज इस्लाम को आधुनिकीकरण की जरूरत है.