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थिएटर के माध्‍यम से पुरुष यौन उत्पीडन की व्यथा बताने की कोशिश

नई दिल्ली: आम तौर पर अत्यधिक शर्मनाक घटना माने जाने की वजह से अक्सर पुरुष यौन उत्पीडन छिपा लिए जाते है. इसी हिंसा की व्यथा को दो नाटकों के माध्यम से पेश किया जा रहा है.’द ट्रिकी पार्ट’ और ‘ऑल द रेज’ नामक दोनों नाटक एकल हैं और भारत भर में इनका मंचन हो रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2014 5:00 PM

नई दिल्ली: आम तौर पर अत्यधिक शर्मनाक घटना माने जाने की वजह से अक्सर पुरुष यौन उत्पीडन छिपा लिए जाते है. इसी हिंसा की व्यथा को दो नाटकों के माध्यम से पेश किया जा रहा है.’द ट्रिकी पार्ट’ और ‘ऑल द रेज’ नामक दोनों नाटक एकल हैं और भारत भर में इनका मंचन हो रहा है.

अमेरिकी लेखक मार्टिन मोरान के पुरस्कृत हो चुके दोनों नाटक एक बच्चे के यौन उत्पीडन पर केंद्रित हैं.इन नाटकों के प्रति बॉलीवुड अभिनेत्री कल्कि कोचलीन ने भी दिलचस्‍पी दिखाई है. वे भी इनदिनों ‘मौत’ पर एक कॉमेडी नाटक लिख रही है.

नई दिल्ली में 15 नवंबर से इनका दो दिवसीय प्रदर्शन होगा. दोनों नाटकों का निर्देशन सेठ बैरिश ने किया है.मोरान के अपने जीवन के अनुभवों पर लिखे दोनों नाटकों की प्रोड्यूसर अभिनेत्री पूर्णा जगन्नाथन हैं जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध पर ‘निर्भया’ नामक नाटक तैयार किया था.’निर्भया’ में केश सज्जा विशेषज्ञ सपना भावनानी ने भी काम किया था.

पूर्णा ने कहा,’ आज भारत में हर दो में से एक लडका यौन उत्पीडन का शिकार है. इसका मतलब है कि देश में करीब आधे लडके अवांछित यौन र्दुव्‍यवहार का सामना करते हैं. लेकिन पुरुष यौन उत्पीडन को जिस तरह अत्यधिक शर्मनाक माने जाने की संस्कृति है उसके चलते पीडित किसी भी तरह की मदद नहीं मांग पाते.’

‘डेली बेली’ की अभिनेत्री कल्कि का कहना है कि ज्यादातर मामलों में इसमें करीबियों का हाथ होता है और उत्पीडन का चक्र चलता रहता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों नाटक अब तक बेहद कठिन मानी जाने वाली लेकिन महत्वपूर्ण बातचीत शुरु करने में मददगार हो सकते हैं.

पूर्णा जगन्नाथन ने कहा,’ मेरा दृढतापूर्वक मानना है कि लडकों के खिलाफ यौन हिंसा खत्म करना हिंसा का चक्र खत्म कने की एक अहम कडी है.’ न्‍यूयार्क में रहने वाले मोरान ने 2004 में पहली बार ‘द ट्रिकी पार्ट’ पेश किया था. यह आत्मकथात्मक नाटक एक काउंसलर द्वारा 12 वर्षीय बच्चे के यौन उत्पीडन के बारे में बताता है. यौन उत्पीडन का सिलसिला करीब 3 साल चलता है और नाटक में बताया गया है कि मोरान किस प्रकार काउंसलर को तथा खुद को माफ करते हैं.

हाल ही में मुंबई में इन नाटकों का मंचन करने वाले मोरान ने कहा कि उन्हें महसूस हुआ कि दर्शकों ने बहुत ध्यान से नाटक देखा और उन्हें बेहतरीन प्रतिक्रिया भी मिली.

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