फिल्म रिव्यू: टाइमपास फिल्म एक्शन जैक्सन
II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : एक्शन जैक्सन कलाकार : अजय देवगन, सोनाक्षी सिन्हा, यामी गौतम,मनस्वी ममगई निर्देशक : प्रभुदेवा रेटिंग : 1 प्रिय अजय देवगन, निस्संदेह आप बॉलीवुड में कई सालों से सक्रिय हैं और आप आम दर्शकों को बेहद पसंद हैं. आपकी पहली फिल्म फूल और कांटे थी. लेकिन पहली फिल्म से ही […]
II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म : एक्शन जैक्सन
कलाकार : अजय देवगन, सोनाक्षी सिन्हा, यामी गौतम,मनस्वी ममगई
निर्देशक : प्रभुदेवा
रेटिंग : 1
प्रिय अजय देवगन,
निस्संदेह आप बॉलीवुड में कई सालों से सक्रिय हैं और आप आम दर्शकों को बेहद पसंद हैं. आपकी पहली फिल्म फूल और कांटे थी. लेकिन पहली फिल्म से ही आपने अपने अभिनय से खुद को स्थापित किया. उस फिल्म में आपने दर्शकों को हंसाया भी, और रुलाया भी. इसके बाद आपने लगातार अपनी फिल्में जख्म, तक्षक,अपहरण, गंगाजल, भगतसिंह, जमीन जैसी फिल्मों में अपने तेवर दिखाये. वन्स अपन अ टाइम इन मुंबई जैसी पीरियड फिल्मों को जीवंत तरीके से आप ही प्रस्तुत कर सकते हैं. इस फिल्म के एक एक संवाद को आपने सार्थक किया था.
राजनीति में आपने अपनी छाप छोड़ी. यह आप भी जानते हैं और आपके दर्शक भी मानते हैं कि आपकी आंखें अभिनय करती हैं. और यह आपकी यूएसपी है. फिल्म इश्क, गोलमाल, सन ऑफ द सरदार और विशेष कर बोल बच्चन में आपने दर्शकों का मनोरंजन किया. तो क्या हुआ कि आप अच्छे डांसर नहीं. लेकिन आप एक अच्छे अभिनेता है. हर अच्छे अभिनेता का अच्छा डांसर होना जरूरी नहीं. हिंदी सिनेमा में सुपरस्टार्स कई हैं. लेकिन क्या यह बात आप कभी महसूस नहीं करते कि अभिनेता कुछेक ही हैं. उनमें से एक आप हैं.
निस्संदेह रोहित शेट्ठी की फिल्मों में आपको एक्शन करते देखना स्वभाविक लगता है. फिर आखिर अजय क्या वजह है कि आप एक् शन जैक् शन जैसी फिल्मों में खुद की अभिनय क्षमता का हनन कर रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि आप ऐसी फिल्मों का चुनाव करते वक्त अपने दर्शकों को अपनी क्षमता को महत्व नहीं देते. दर्शक जब यह बात समझते हैं कि आप में क्या बात है. आप खुद क्यों नहीं समझ पा रहे. पिछले कुछ बातचीत के दौरान आपने कहा है कि आपको जख्म जैसी स्क्रिप्ट नहीं मिल रही और आपको हल्की फुल्की मनोरंजक फिल्में बनाना पसंद है. लेकिन अजय, तब भी एक्शन-जैक्सन जैसी फिल्में आपके स्तर की फिल्में नहीं हैं. आपको ऐसी फिल्मों की जरूरत नहीं.
क्या फिल्म में अभिनय से पहले आपने वाकई स्क्रिप्ट पढ़ी थी. लेकिन इससे पहले सवाल यह उठता है कि क्या स्क्रिप्ट लिखी भी गयी थी. एक्शन-जैक्सन अब तक की आपकी सबसे बुरी फिल्मों में से एक है. यह फिल्म किसी टॉर्चर से कम नहीं. आपके दर्शक आपकी वजह से फिल्म देखने जायेंगे. यह आप भी जानते हैं फिर उन्हें क्यों निराश कर रहे हैं आप. इससे पहले भी आपने कई फिल्मों में डबल रोल निभाया है. लेकिन वे फिल्में इससे कहीं बेहतर हैं. आपसे आग्रह है कि हिंदी सिनेमा को आप जैसे इंटेंस कलाकार की जरूरत है. फिल्में कई हैं. कई अच्छी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है. कृपया अपने अंदर के कलाकार को मनोरंजन के नाम पर यूं बर्बाद न कीजिए. कृपया ऐसी ओछी फिल्मों के साथ अपना नाम न जोड़े. हिंदी सिनेमा के लिए आप बहुमूल्य हैं.
एक्शन-जैक्सन में निम्न स्तर के एक्शन को दिखाने की कोशिश की गयी है. प्रभुदेवा ने दक्षिण भारतीय अंदाज में फिल्म को दर्शाने की कोशिश की है. लेकिन फिल्म किसी भी लिहाज से आपको आकर्षित नहीं करती है. फिल्म के संवाद, दृश्य, फिल्म के कलाकारों को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उनमें शूटिंग के दौरान भी कोई बातचीत नहीं हुई है. निर्देशक सलमान खान की फिल्मों के फैन हैं. यह स्पष्ट रूप से नजर आ रहा था. लेकिन सलमान के संवाद की तरह फिल्म का कोई भी संवाद स्तरीय नहीं.
फिल्म को मिश्रण बना कर प्रस्तुत करने की कोशिश की है. फिल्म में सबकुछ ओवरडोज है. ड्रामा, एक् शन, बेमतलब के ठुसे गये गाने. आप फिल्म देख कर थियेटर से बाहर आकर भी यह नहीं समझ पायेंगे कि फिल्म का नाम एक्शन-जैक्सन आखिर क्यों है. फिल्म की कहानी दो अजय देवगन की है. दोनों भाई नहीं हैं. बस शक्लें मिलती हैं. एक गली का गुंडा है विशी और दूसरा बैंगकॉक का डॉन…बैंगकॉक का गुंडा एजे एक्शनबाजी और डायलॉगबाजी साथ-साथ करते नजर आता है. अचानक उसके बॉस की बहन मरीना का दिल एजे पर आ जाता है. अब मरीना को एजे चाहिए. लेकिन एजे को किसी और से प्यार है.
मरीना को एजे की जिंदगी से हर किसी को हटाना चाहती है. इसी क्रम में मारपीट, खून खराबा, शोर, सबकुछ होता है. वही भारत में सोनाक्षी अन-लकी लड़की है. लेकिन विशी को बिना पैंट के देखने से उसका लक बदल जाता है. और फिर दोनों की लव स्टोरी आगे बढ़ती है. आखिर क्या वजह है कि सोनाक्षी लगातार फिल्मों में केवल नाच गाने के लिए फिल्में कर रही हैं. सोनाक्षी, आपके प्रशंसक भी आपके चेहरे के अजीबोगरीब भाव देख देख कर बोर हो चुकेहैं.
फिल्म में सोनाक्षी से अधिक महत्व एजे की प्रेमिका यामी को मिली है. फिल्म में निम्न स्तर की डायलॉगबाजी, एक्शन, दृश्यों का इस्तेमाल किया गया है. खासतौर से फिल्म के खलनायक जेवियर को जबरन घिनौना बनाया गया है. जिन्हें देख कर न हंसी आती है न. न डर लगता है. इलॉजिकल फिल्म बनाने में इस फिल्म ने वे सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं.
फिल्म के गीत यू आर माइ गैंगस्टर बेबी…का फिल्मांकन किसी बी ग्रेड फिल्म से कम अश्लील नहीं. कुणाल रॉय कपूर को ऐसी छोटे मोटे किरदार वाली फिल्में हरगिज नहीं करनी चाहिए. हम कब तक साउथ से उधार ली गयी फिल्मों को परोसते रहेंगे. सांभर के साथ इडली ही अच्छी लगती है कचौड़ी नहीं. और अंत में फिर से एक सवाल अजय, क्या आपने आंख मूंध कर यह फिल्म साइन की थी?? फिल्म आपने साइन की थी या आपके क्लोन ने.