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राजकपूर ने अलग ही अंदाज में कहा था ”जीना इसी का नाम है…”

हिंदी सिनेमा के ‘शोमैन’ कहे जाने वाले अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राज कपूर का आज 90वां जन्‍मदिन हैं. उनका जन्‍म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था. इस मौके पर गूगल ने भी ‘डूडल’ बनाकर समर्पित किया है. ‘डूडल’ पर राज कपूर की जो तस्वीर दिखाई दे रही है, वह उनकी मोस्ट आइकॉनिक फिल्म ‘श्री420’ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2014 11:18 AM

हिंदी सिनेमा के ‘शोमैन’ कहे जाने वाले अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राज कपूर का आज 90वां जन्‍मदिन हैं. उनका जन्‍म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था. इस मौके पर गूगल ने भी ‘डूडल’ बनाकर समर्पित किया है. ‘डूडल’ पर राज कपूर की जो तस्वीर दिखाई दे रही है, वह उनकी मोस्ट आइकॉनिक फिल्म ‘श्री420’ की है. हिंदी सिनेमा में कीर्तिमान स्‍थापित करेनवाले राज कपूर ने अपने फिल्‍मी करियर की शुरूआत थप्‍पड़ से की थी. राज कपूर का पूरा नाम ‘रणबीर राज कपूर’ था. रणबीर अब उनके पोते यानी ऋषि-नीतू के बेटे का नाम है.

राजकपूर की स्‍कूली शिक्षा कोलकाता में हुई थी. उनका मन कभी पढाई में नहीं लगता था इसलिए उन्‍होंने पढाई बीच में ही छोड दी. वे ऐसे मनमौजी विद्यार्थी थे जिन्‍होंने अपनी कॉपी-किताबें बेचकर खूब पकौडे और चाट खाये. राज कपूर के पिता पृथ्‍वीराज कपूर ने उन्‍हें सफलता का मंत्र दिया था कि राजू नीचे से शुरूआत करोगे तो उपर तक जाओगे. पिता की इस बात को उन्‍होंने गांठ बांध लिया और महज 17 साल की उम्र में रंजीत मूवीकॉम और बॉम्बे टॉकीज फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में स्पॉटब्वॉय का काम शुरू किया.

उस समय के जानेमाने निर्देशक केदार शर्मा ने एक बार किसी काम में राजकपूर से हुई गलती को लेकर उन्‍हें एक थप्‍पड़ मार दिया. वहीं आगे चलकर केदार ने उन्‍हें अपनी आगामी फिल्‍म ‘नीलकमल’ के लिए साइन किया. राजकपूर को एक्टिंग तो पिता से विरासत में मिली थी. राजकपूर पिता के साथ रंगमच पर भी काम किया करते थे. वर्ष 1960 में फिल्म ‘अनाड़ी’ और 1962 में ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था. इसके अलावा वर्ष 1965 में ‘संगम’, 1970 में ‘मेरा नाम जोकर’ और 1983 में ‘प्रेम रोग’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था.

उन्‍होंने अपने अभिनय से दर्शकों का खुब मन मोहा. उनकी मशहूर फिल्मों में ‘बरसात’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘तीसरी कसम’, ‘जागते रहो’, ‘संगम’,‘मेरा नाम जोकर’, ‘श्री 420’, ‘आवारा’, ‘बेवफा’, ‘आशियाना’, ‘अंबर’, ‘अनहोनी’, ‘पापी’, ‘आह’, ‘धुन’, ‘बूट पॉलिश’ ऐसी फिल्‍में है जो आज भी दर्शकों के जहन में बसी हुई है. भारत सरकार ने राज कपूर को मनोरंजन जगत में उनके अपूर्व योगदान के लिए 1971 में पद्मभूषण से विभूषित किया था. वर्ष 1987 में उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था.

‘मेरा जूता है जापानी’ (श्री 420), कहकर दर्शकों के दिलों में राज करने वाले राजकपूर आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं. उनके सुपरहिट गानों में ‘आवारा हूं’ (आवारा), ‘ए भाई जरा देख के चलो’ (मेरा नाम जोकर), ‘जीना इसी का नाम है’ (मेरा नाम जोकर), ‘आजा सनम, मधुर चांदनी में हम’ (चोरी-चोरी), ‘कहता है जोकर सारा जमाना’ (मेरा नाम जोकर), ‘सजन रे झूठ मत बोलो’ (तीसरी कसम), ‘मुड मुड कर न देख’ (श्री 420), ‘ये रात भीगी भीगी’ (चोरी चोरी), ‘किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार’ (अनाड़ी), और ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ (श्री 420) सबसे ज्यादा मशहूर हुए.

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