”धार्मिक कट्टरता” की एक ”निर्भीक समीक्षा” है ”पीके”

राजकुमार हिरानी पांच साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से सिनेमाघरों में अपनी नई फिल्म के साथ लौटे हैं और यह उनकी धमाकेदार वापसी है. हिरानी के निर्देशन में बनी चौथी फिल्म ‘पीके’ कुछ कुछ उनकी मुन्नाभाई फिल्म श्रृंखला जैसी ही है जो कहानी और निर्देशन पर उनकी बेहतरीन पकड के चलते दिलो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2014 12:06 PM

राजकुमार हिरानी पांच साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से सिनेमाघरों में अपनी नई फिल्म के साथ लौटे हैं और यह उनकी धमाकेदार वापसी है. हिरानी के निर्देशन में बनी चौथी फिल्म ‘पीके’ कुछ कुछ उनकी मुन्नाभाई फिल्म श्रृंखला जैसी ही है जो कहानी और निर्देशन पर उनकी बेहतरीन पकड के चलते दिलो दिमाग को छू जाती है.आमिर ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों को हंसाया भी और रुलाया भी.

‘पीके’ धार्मिक कट्टरता और भारत में बहुतायत में पाए जाने वाले स्वयंभू बाबाओं की गतिविधियों की एक निर्भीक समीक्षा करती है लेकिन इस फिल्म का संदेश विद्वेष और कडवाहट को दूर करना है. इस फिल्म की पटकथा हिरानी और अभिजात जोशी ने लिखी है. फिल्म एक मनोरंजनात्मक कहानी बयां करती है जो सामाजिक और आर्थिक कुरीतियों पर वार करती है. यह काम बडी ही सफाई से किया गया है और कहानी सरल और सीधी सपाट रखी गई है.

यह इस बात को जाहिर करता है कि तथाकथित परंपरावादी लोकप्रिय मुंबइया सिनेमा हिरानी के सक्षम हाथों से होते हुए मनोरंजन के एक नये आयाम तक पहुंच सकता है. ‘पीके’ एक ऐसी फिल्म है, जिससे बॉलीवुड का पुराना कलेवर लौट आने की आहट सुनाई देती है. यह फिल्म राजस्थान के रेगिस्तान से शुरु होती है जहां आमिर खान अपना संपर्क खो चुके एक अंतरिक्ष यान से नंग धडंग हालत में बाहर निकलते हैं. वह एक ऐसे ग्रह के निवासी हैं जहां कपडे नहीं पहने जाते हैं और उनका यान भटककर धरती पर चला आया है.

पृथ्वी की उनकी यात्रा उन्हें राजस्थानी बैंड मास्टर भैरों सिंह (संजय दत्त), साहसी टीवी पत्रकार जगत जननी उर्फ जग्गू साहनी (अनुष्का शर्मा) और एक धार्मिक पंथ के प्रमुख तपस्वी महाराज (सौरभ शुक्ला) के संपर्क में लाती है. इस तरह वह एक अनजान ग्रह पर रहना सीखते हैं. पृथ्‍वी में झूठ और फरेब की दुनियां देखकर वो घबरा जाता है. भगवान की खोज में लोगों भटकते लोगों को देखकर उनकी आंखें भर आती है. कुछ इसी तरह के सच से रु-ब-रु करवाती यह फिल्‍म दर्शकों को छोटी-छोटी बातों में कड़वा सच दिखाते हैं.लेकिन जाते-जाते कुछ ऐसा करते हैं कि सबकी आंखे भर आती है.

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