सलमान का ”हिट एंड रन” मामला जनवरी तक खत्म होना चाहिए : न्यायाधीश

मुंबई: बॉलीवड के जानेमाने अभिनेता सलमान खान की संलिप्तता वाले 2002 के ‘हिट एंड रन’ मामले की सुनवाई कर रही सत्र अदालत ने अभियोजन को एक गवाह से जिरह की इजाजत दे दी है. साथ ही यह भी कहा है कि जनवरी 2015 के अंत तक मामला खत्म होना चाहिए. यह दूसरी बार है जब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2014 10:44 AM

मुंबई: बॉलीवड के जानेमाने अभिनेता सलमान खान की संलिप्तता वाले 2002 के ‘हिट एंड रन’ मामले की सुनवाई कर रही सत्र अदालत ने अभियोजन को एक गवाह से जिरह की इजाजत दे दी है. साथ ही यह भी कहा है कि जनवरी 2015 के अंत तक मामला खत्म होना चाहिए. यह दूसरी बार है जब अदालत ने अभियोजन को कार्यवाही तेज करने को कहा है. न्यायाधीश डी डब्‍ल्‍यू देशपांडे ने इससे पहले उसे दिसंबर अंत तक मामला खत्म करने को कहा था और कहा कि जनवरी 2015 तक मामला जरुर खत्म होना चाहिए.

अभियोजन का मामला है कि खान ने 28 सितंबर 2002 को बांद्रा में फुटपाथ पर सो रहे लोगों पर कार चढा दी जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गयी और चार अन्य घायल हो गए. क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी आर एस केतकर से विशेष अभियोजक प्रदीप घराट ने जिरह की थी. सलमान के वकील श्रीकांत शिवाडे ने उनसे फिर जिरह की. घराट से आठ जनवरी को फिर पूछताछ होगी.

केतकर की गवाही से अभियोजन साबित करना चाहता है कि लापरवाही से गाडी चलाने के कारण कार को व्यापक नुकसान हुआ वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने जिरह में दलील दी कि यह एक दुर्घटना थी और लापरवाही से गाडी चलाने का मामला नहीं है.

शिवाडे के सवाल पर केतकर ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि जब बायीं तरफ टक्कर लगने के दौरान ब्रेक लगायी गयी थी तो उस समय कार बेहद तेज रफ्तार में थी और ड्राइवर कार को मोडना चाहता था. खान की कार सडक की दायीं तरफ टक्कर खाकर रुक गयी. शिवाडे ने केतकर को कार की इंजन के कुछ तस्वीर भी दिखाए लेकिन वो उसके बारे में नहीं बता पाए. केतकर के मुताबिक, उनका काम घटना में शामिल वाहन का निरीक्षण करना था और हादसे के बाद खान के लैंड रोवर की जांच करनी थी. बहरहाल, अभिनेता आज अदालत नहीं आये क्योंकि न्यायाधीश ने उन्हें आज के लिए उन्हें छूट दी थी.

पिछले दिसंबर को अदालत ने इस आधार पर फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया था कि गैर इरादतन हत्या के मामले के परिप्रेक्ष्य में गवाहों से पूछताछ नहीं हुयी थी जिसे पिछले मुकदमे के दौरान बीच में मजिस्ट्रेटी अदालत ने शुरु किया था. पहले के आरोप, लापरवाही से वाहन चलाने के कारण मौत के मामले में अधिकतम दो साल जेल की सजा है जबकि गैर इरादतन हत्या के मामले में 10 साल तक जेल की सजा हो सकती है.

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