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बनारसी अंदाज में रोमियो जुलियट

!!अनुप्रिया अनंत!!फिल्म : इसककलाकार : रवि किशन, प्रतीक बब्बर,आम्रया निर्देशक : मनीष तिवारीरेटिंग : 2 स्टार इसक प्रेम कहानी है. रोमियो जुलियट की प्रेम कहानी. लेकिन ये रोमियो जुलियट किसी किताबों के पन्नों पर नहीं, और न ही किसी मंच पर है. वे इस बार बनारस की गलियों में जा पहुंचे हैं. निर्देशक मनीष तिवारी […]

!!अनुप्रिया अनंत!!

फिल्म : इसक
कलाकार : रवि किशन, प्रतीक बब्बर,आम्रया
निर्देशक : मनीष तिवारी
रेटिंग : 2 स्टार

इसक प्रेम कहानी है. रोमियो जुलियट की प्रेम कहानी. लेकिन ये रोमियो जुलियट किसी किताबों के पन्नों पर नहीं, और न ही किसी मंच पर है. वे इस बार बनारस की गलियों में जा पहुंचे हैं. निर्देशक मनीष तिवारी का यह विजन कि उन्होंने रोमियो और जुलियट की कहानी को ठेठ देसी अंदाज में परोसने की कोशिश की. सोच बेहतरीन है. लेकिन फिल्मी परदे पर उतरते उतरते वह ऊबाऊ हो गयी है.

फिल्म की प्रेम कहानी में जो भी अन्य किरदार जुड़ते हैं. वे बेहद कमजोर हैं. बनारस में कश्यप और मिश्र परिवार की लड़ाई है. लेकिन खास बात यह है कि इन परिवार के मुखिया मुख्यत: लड़ाई का हिस्सा नहीं, बल्कि परिवार के अन्य सदस्य लड़ाई में शामिल हैं. रवि किशन तितस की भूमिका में हैं. इस फिल्म में अगर किसी ने सबसे बेहतरीन काम किया है तो वह रवि किशन ने ही किया है. रवि किशन ने प्रमुखता से हिंदी सिनेमा में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है. उन्हें इस फिल्म में जिस तरह अभिनय करने का स्पेस मिला है.

शायद हिंदी फिल्मों में पहले कभी मिला हो और उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है उन्हें देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि अभी उनमें काफी क्षमता है, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने तितश् की भूमिका में जान डाल दी है. नयी नायिका अम्रया ने बेहतरीन काम किया है. लीड किरदार में प्रतीक नहीं जंचे हैं. जब पूरा अंदाज, भाषा बनारसी था. तो लीड किरदार में भी किसी वैसे ही किरदार का चयन किया जाता तो बखूबी निभा पाते. प्रतीक सबसे अधिक निराश करते हैं. फिल्म में कुछ परिस्थितियां हास्यपद क्रियेट की गयी है. लाल सलाम का नारा लगाते प्रशांत नारायण अपने किरदार में थे. लेकिन किरदार के पास करने के लिए कुछ खास नहीं था.

फिल्म के गाने बेहतरीन हैं. खासतौर से राज शेखर द्वारा लिखा गया गीत एन्ने उन्ने बेहतरीन हैं. फिल्म के अन्य कलाकारों में राजेश्वरी सचदेवा, विनीत कुमार ने अच्छा काम किया है. मालिनी अवस्थी फिल्म में क्यों थी. पता नहीं. उनकी मौजूदगी पता ही नहीं चलती. फिल्म में प्रशांत कुमार ने भी ध्यान खींचा है. फिल्म की कमियां यही हैं कि यह फिल्म कम नाटक का रूप अधिक थी. फिल्म टूकड़ों में अच्छी है. लेकिन एडिटिंग में चूक रही है. कई दृश्य का दूसरे दृश्य से मेल नहीं था. ये चीजें अटक रही थीं. लेकिन जाते जाते अगर रवि किशन के नये रूप व अवतार को देखना चाहते हैं तो यह फिल्म जरूर देखें.

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