फिल्म रिव्यू : मिलिए लुटेरी दुल्हन से…
II अनुप्रिया अनंत II फिल्म रिव्यू : डॉली की डोली कलाकार : सोनम कपूर, राजकुमार राव, वरुण शर्मा, पुलकिट सम्राट लेखक : उमाशंकर सिंह निर्देशक : अभिषेक डोंगरा निर्माता : अरबाज खान रेटिंग : 3.5 स्टार डॉली की डोली बॉलीवुड में बॉलीवुड की लय से बनी लेकिन लय से हट कर फिल्म है. इस फिल्म […]
II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म रिव्यू : डॉली की डोली
कलाकार : सोनम कपूर, राजकुमार राव, वरुण शर्मा, पुलकिट सम्राट
लेखक : उमाशंकर सिंह
निर्देशक : अभिषेक डोंगरा
निर्माता : अरबाज खान
रेटिंग : 3.5 स्टार
डॉली की डोली बॉलीवुड में बॉलीवुड की लय से बनी लेकिन लय से हट कर फिल्म है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फिल्म दर्शकों को बोर नहीं करती. आमतौर पर बॉलीवुड के चलन को यह फिल्म तोड़ती है. आप 100 मिनट के अंतराल की यह फिल्म देखते वक्त यह महसूस करेंगे कि आप किसी सफर में डॉली के साथ हो लिये हैं.
फिल्म की नायिका डॉली है. वह ठग है. लूटेरी दुल्हन है. वह अपनी गैंग के साथ अमीरजादों को लूटती है. फिल्म दावत ए इश्क की नायिका भी एक अमीरजादे को लूटती है. लेकिन उसके पीछे उसकी बड़ी वजह होती है. इस फिल्म की खासियत यह भी है कि फिल्म कोई उपदेश देने की कोशिश नहीं करती. लेकिन फिर भी कहानी में कई सारी परते हैं. आमतौर पर बॉलीवुड में बुरे हालात नायिका या नायक को ठग बना देते हैं.
इस फिल्म में आपको नयापन नजर आयेगा. इसमें कोई संदेह नहीं कि फिलवक्त बॉलीवुड में ऐसी ही कहानियों की जरूरत है. लेखक उमाशंकर सिंह ने लाग लपेट किये बगैर संवाद में नया रस घोला है. यह फिल्म के फ्रेश होने की सबसे बड़ी वजह है. संवाद पर काफी काम किया गया है. खासतौर से फिल्म का अंत आम फिल्मों की तरह नहीं है.
डॉली जिस गति में है. जो उसकी बोल्डनेस है. वह अंत तक बरकरार है. वह महिला है. लेकिन लाचार नहीं और अंत में वह प्यार में पड़ कर इमोशनल ड्रामे की बजाय अपना ही आकाश चुनती है. हिंदी फिल्मों को ऐसे रोचक अंत की भी जरूरत है. इस फिल्म में कलाकारों का चयन भी इस अंदाज में किया गया है कि वे सारे किरदार अपने काम में रमे नजर आते हैं.
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता राजकुमार राव ने प्रभावशाली किरदार निभाया है और आनेवाले समय में वे हमें और भी चौंकाने वाले हैं. बॉलीवुड को एक उम्दा कलाकार मिल गया है. चूजा फेम वरुण शर्मा हास्य कलाकारों में अपनी पहचान बनाने में सफल होंगे. इस फिल्म में भी वह मंझे हुए नजर आ रहे हैं. खास बात यह है कि उनकी कद काटी ही लुभाने वाली है और दर्शक उन्हें पसंद करेंगे. इस फिल्म की कमजोर कड़ी पुलकित सम्राट हैं. उन्हें सबसे दमदार किरदार निभाने का मौका मिला था. लेकिन वे प्रभाव नहीं छोड़ पाते.
सोनम कपूर प्रयोग कर रही हैं. यह उनके करियर के लिए सकरात्मक संकेत हैं. इस फिल्म में वे स्वभाविक लगी हैं. उन्होंने खुद पर फैशनिस्टा को हावी नहीं किया है. निर्देशक अभिषेक डोंगरा को उन्होंने पूरा मौक दिया है कि वे उनके किरदार को अपने मन मुताबिक गढ़ पायें और यही फिल्म की खूबी है. निर्देशक की पहली कोशिश कामयाब कोशिश है.
प्यार में धोखा देने का हक सिर्फ लड़कों का नहीं और फिर धोखा खाने के बाद बेबस होना सिर्फ लड़की का हक नहीं और फिर उसी लड़के को जब अपनी गलती का एहसास हो तो दोबारा लड़की को हासिल करने का हक भी सिर्फ लड़कों का हक नहीं. अभिषेक डोंगरा ने कोई उपदेश न देते हुए भी कई बातें कहीं हैं और फिल्म दिल को छूती है. अरबाज खान बधाई के पात्र हैं कि मुख्य धारा के चलन को वह तोड़ रहे हैं. एक निर्माता के रूप में ऐसे प्रयासों की सराहना करना भी जोखिम है. साहस का काम है.