फिल्म रिव्यू : जबरदस्त एक्शन-थ्रिलर है अक्षय की ”बेबी”
II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : बेबी कलाकार : डैनी,अक्षय कुमार, तापसी पन्नू, राणा डुग्बट्टी, अनुपम खेर निर्देशक : नीरज पांडे रेटिंग : 3.5 स्टार अक्षय कुमार वर्तमान दौर में सभी सुपरस्टारों की तुलना में साल में सबसे ज्यादा फिल्में करते हैं. लेकिन साल में वे अपने अंदाज की एक ऐसी फिल्म अवश्य करते हैं, […]
II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म : बेबी
कलाकार : डैनी,अक्षय कुमार, तापसी पन्नू, राणा डुग्बट्टी, अनुपम खेर
निर्देशक : नीरज पांडे
रेटिंग : 3.5 स्टार
अक्षय कुमार वर्तमान दौर में सभी सुपरस्टारों की तुलना में साल में सबसे ज्यादा फिल्में करते हैं. लेकिन साल में वे अपने अंदाज की एक ऐसी फिल्म अवश्य करते हैं, जो उनकी बादशाहत कायम रखने में कामयाब होती है. ‘हॉलीडे’, ‘स्पेशल 26’ वैसी ही फिल्मों में से एक है. मगर ‘बेबी’ उनकी फिल्मों की सोच, उनकी समझ, उनके अभिनय को एक अलग ही श्रेणी में लाकर खड़ी करती है.
बॉलीवुड में ऐसी फिल्मों की सख्त जरूरत है और सुपरस्टार्स का उन फिल्मों के साथ जुड़ना उससे भी ज्यादा जरूरी है. हालांकि ‘स्पेशल 26’ भी रोचक थी. मगर ‘अ वेडनेस डे’ के बाद नीरज की यह थ्रीलर एक अलग मिजाज, अंदाज की फिल्म है. जहां अगर दर्शक एक भी मिनट अगर अस्थिर होते हैं तो वे रोचकता खो देंगे. फिल्म की खासियत यह है कि यह बने बनाये फार्मूले में नहीं फंसती. विषय आतंकवाद को लेकर ही है. लेकिन यहां लड़ाई अलग अंदाज में है.
कहानी इस अंदाज में गढ़ी गयी है कि अंत तक रहस्य बरकरार रहता है. हर पल किसी न किसी पर शक की सूई जाती है. यह संभव है कि दर्शकों को थोड़ा वक्त लगे इसि फल्म से जुड़ने में. लेकिन यह बेहद जरूरी है कि नीरज पांडे जैसे निर्देशक बॉलीवुड में इस तरह की फिल्मों का चलन शुरू करें ताकि दर्शकों को लीक से हट कर फिल्में देखने की आदत तो लगे. वरना, वे मसाला फिल्मों में ही उलझे रहेंगे.
नीरज ने फिल्म में कहीं भी बेफिजूल के किरदार, बेफिजूल के संवाद या गाने कुछ भी नहीं ठुसे हैं. कहानी अक्षय कुमार और डैनी के कंधों पर है. फिल्म का अहम मुद्दा है कि भारत में ऐसे ऑफिसर्स भी हैं जो देश के लिए मरना नहीं जीना चाहते हैं. और वे मुश्किल से मुश्किल मिशन को पूरा करते हैं. आतंकवाद की साजिश किस हद तक रची जाती है और उसकी जड़ कहां हैं और इस तरह की एजेंसी किस तरह उन्हें खत्म करने में जोखिम उठाती हैं. फिल्म इसी कहानी के ईद गिर्द हैं.
नीरज पांडे ने निश्चित तौर पर विशेष रिसर्च किया है. उनकी बारीकियां फिल्म में नजर आती हैं. डैनी इस बार परदे पर अलग तेवर में नजर आये हैं. तापसी पन्नू को कम स्क्रीन स्पेस दिया गया है. लेकिन उन्हें जितना भी वक्त मिला है. उन्होंने उसका भरपूर प्रयोग किया है. और साबित किया है कि वे छोटी भूमिकाओं में भी प्रभावशाली है.
फिल्म की खूबी यह भी है कि फिल्म फिल्मी नहीं लगती. अक्षय कुमार तंदरुस्त हैं और ऐसे किरदारों में वे खूब ढल जाते हैं. ऐसे किरदारों में अक्षय को देखने के बाद उनकी बे सिर पैर की फिल्में बेफिजूल लगने लगती हैं. उन्हें और बेहतरीन किरदार मिलें और नीरज पांडे जैसे निर्देशक मिलें तो वे और निखर कर सामने आयेंगे. थ्रिलर श्रेणी में यह अलग मिजाज की फिल्म है.