कलाकार: गुरमीत चौधरी, अली फजल, सपना पब्बी
निर्देशक: करण दारा
निर्माता: महेश भट्ट (प्रस्तुतकर्ता),मुकेश भट्ट
संगीत: अंकित तिवारी, जीत गांगुली
निर्देशक करण दारा ने खमोशी के पीछे छुपे राज को उजागर करने की कोशिश की है. फिल्म की कहानी एक ऐसे प्रेमी की है जिसकी प्रेमिका उसके साथ बेवफाई कर दूसरी शादी करनेवाली है. अपनी प्रेमिका से गुस्से में आकर कबीर (अली फजल) प्रेमिका के साथ बिताये कुछ अंतरंग पलों की वीडियो बनाकर भेजता है. यह देखकर उसकी प्रेमिका कहती है कि उसने अलग होने का फैसला कर लिया है, क्योंकि कबीर ने आजतक कोई काम पूरा किया ही नहीं.
अपने प्रेमिका की इस बात से कबीर को बड़ा धक्का लगता है. वह पेशे से एक लेखक है. वह अपने नई किताब के लिए कहानी ढूढ़ने निकल जाता है. इसी बीच कहानी मुड़ती है और वह पहुंच जाता है कश्मीर. जहां एक बड़े से घर में मीरा (सपना पब्बी) अकेले एक बड़े से घर में अकेली रहती है. शुरू से ही उसका बर्ताव अजीब रहता है. कबीर,मीरा के पीछे छुपे राज का पता करने की कोशिश करता है. अब वहीं पुराना फंडा दोनों को एकदूसरे से प्यार हो जाता है और दोनों को पता ही नहीं चलता.
घर में रहते हुए कबीर के साथ भी कई अजीब घटनायें घटती है. कबीर के कहने पर मीरा राज तो खोलती है लेकिन झूठ बोलकर. मीरा का पति जयदेव (गुरमीत चौधरी) की मौत हो चुकी है. जयदेव की आत्मा मीरा के साथ-साथ कबीर को खूब सताती है. कहानी थोड़ी हॉरर नजर आती है. कबीर, मीरा और जयदेव तीनों की जिदंगी में कई राज हैं जिन्हें वे एकदूसरे से छुपाते नजर आते हैं. धीरे-धीरे हर राज का पर्दा उठता है और तब सच्चाई का पता चलता है.
फिल्म की कहानी तो हमने आपको सिलसिलेवार से बता दी लेकिन सिनेमाघर में कहानी भटकती नजर आयेगी. कलाकारों ने एक्टिंग के साथ न्याय किया है. वहीं अंकित तिवारी ने अपने गानों हॉरर कहानी से निकालकर सुकून दिलाने में कामयाबी हासिल की है. सपना पब्बी ने कई बोल्ड सीन दिये है. कुल मिलाकर फिल्म एक बार देखी जा सकती है.