II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म: दम लगा के हईसा
निर्देशक: शरत कटारिया
निर्माता: मनीष शर्मा और यशराज बैनर
कलाकार: आयुष्मान खुराना, भूमि, संजय मिश्रा,सीमा पाहवा, शीबा चड्ढा, अलिका अमीन और अन्य
रेटिंग: साढे तीन
लार्जर दैन लाइफ सिनेमा को ज्यादातर परिभाषित करने वाला यशराज बैनर इस बार एक लोअर मीडिल क्लास की कहानी को फिल्म ‘दम लगा के हईसा’के जरिए परदे पर लेकर आया है. उत्तर भारत के हरिद्वार के छोटे से कस्बे में बसे लोगों की कहानी. उनके बीच की प्रेम कहानी. यशराज बैनर इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं. जो उन्होंने अब अपने सिनेमा में उन आम लोगों को भी जोड़ा. जो अब तक सिर्फ उनके दर्शक मात्र थे पात्र नहीं.आयुष्मान का फिल्म में एक डायलॉग हैं कि तीन बातें हैं जो उनकी आंखों में आंसू ले आती है पहला अंग्रेजी का प्रश्न पत्र, दूसरा कुमार सानू की आवाज और तीसरी पापा जी की चप्पल…
फिल्म पर आते हैं. फिल्म दमलगाकर हईशा ९० बैकड्राप पर बनी है. फिल्म की कहानी एक बेमेल जोड़ी की कहानी है. प्रेम (आयुष्मान) दसवीं फेल हैं. उसके पिता की कैसेट्स की दुकान है. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इसी बीच एक मोटी लड़की संध्या(भूमि) का रिश्ता प्रेम के लिए आ जाता है. प्रेम संध्या से शादी नहीं करना चाहता है लेकिन उसके पिता उस पर दबाव डालते हैं कि वह शादी कर लें.
लड़की पढ़ी लिखी है. टीचर बनने वाली है. उसका भी भला होगा. अगर वह शादी नहीं करेगा तो उसके पिता उसे चप्पल से पीटेंगे. मरता क्या न करता प्रेम संध्या से शादी कर लेता है लेकिन उसे वह अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार नहीं कर पाता है. प्रेम संध्या के मोटापे की वजह से शर्मिंदा है. उसे अपने दोस्तों से मिलवाने में उसे शर्म महसूस होती है. वह उसे अपनी जिंदगी में नहीं चाहता है. संध्या को जब यह बात पता चलती है तो वह दुखी होती है लेकिन वह खुद प्रेम को तलाक का नोटिस भिजवा देती है. वह परदे पर नजर आ चुकी उन अभिनेत्रियों में से नहीं है. जिसे अपनी कमी का दुख है.
फिल्म की यही खासियत है. क्या संध्या और प्रेम की शादी टूट जाएगी. इसी पर फिल्म की आगे की कहानी है. वैसे विषय भले ही सीरियस हो लेकिन इसे ह्यूमर के जरिए कहा गया है. फिल्म शुरुआत से ही आपको हंसाती है. जिस वजह से आप फिल्म से पहले दृश्य से जुड़े रहते हैं. स्क्रप्टि की खासियत है इसकी सिंपल और रियल होना. थोड़ी खामियां भी है जैसे अचानक से प्रेम संध्या को क्यों प्यार करने लग जाता है. यह बात समझ नहीं आती है मगर काफी समय बाद ही सही एक अच्छी स्क्रप्टि पर बनी ईमानदार फिल्म ‘दम लगा के हईसा’ है.
इस फिल्म की यूएसपी इसकी कास्टिंग है. इस फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली भूमि पेंडेकर यशराज की कास्टिंग टीम का हिस्सा रह चुकी है. वह एक आम मुंबईया लड़की हैं लेकिन जिस साफगोई से उन्होंने उत्तर भारतीय महिला का किरदार निभाया है. वह काबिलेतारीफ है. फिर चाहें शर्माना हो, बुआजी को जवाब देना हो या अपने पति से लड़ाई करना हो सभी दृश्यों को उन्होंने वास्तविकता के करीब जीया है. उनका लुक से बॉडी लैग्वेज और बोलचाल सभी किरदार के अनुरुप है.
आयुष्मान भी अपने किरदार में जमे हैं. काफी समय बाद ही सही आयुष्मान ने अच्छा परफॉर्मेंस दिया है. संजय मिश्रा, सीमा पाहवा, शैलेश, शीबा चड्ढा, अलिका अमीन की तारीफ करनी होगी. इस फिल्म की यूएसपी यही सहकलाकार है. जो अपनी मौजूदगी, अपने संवाद, अपने हावभाव से हर दूसरे में गुदगुदाते नजर आते हैं. इनकी मौजूदगी ही थी जो इस फिल्म को एक आम उत्तर भारतीय परिवार बना दे रहा था. फिल्म ९० के बैकड्राप पर है. फिल्म के हर दृश्य में इस बात का पूरा ध्यान दिया गया है. स्कूटर, कैसेट्स से लेकर किरदारों के लुक सभी में यह झलकता है.
अन्नू मल्लिक और वरुण ग्रोवर का संगीत भी उस इरा को परदे पर बखूबी क्रिएट करता है. कुमार शानू इस फिल्म में मेहमान भूमिका में दिखें है.खास बात यह है कि यशराज बैनर का लोगो इस बार लता मंगेशकर के बजाए उनकी आवाज से शुरु होता है. शायद ९० के दशक को इससे अच्छा ट्रिब्यूट और नहीं मिल पाता. कुलमिलाकर दमलगाकर हईशा एक मनोरंजक फिल्म है. जो हर वर्ग और उम्र के दर्शकों का मनोरंजन करेगी.