हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन को आज नयी दिल्ली में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. इस खुशी के मौके पर उनका पूरा परिवार उनके साथ मौजूद था. 71 वर्षीय अमिताभ बच्चन आज भी निरंतर काम कर रहे हैं. यह पुरस्कार फिल्म जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया. उन्होंने अपने इस सफर में कई उतार-चढ़ाव देखें लेकिन किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानी और आगे बढ़ते गये.उनका जीवन बहुत सारे आम लोगों के लिए प्रेरक है.
अमिताभ ने वर्ष 1969 में फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ से अपने करियर की शुरुआत की थी. इस फिल्म ने वित्तीय सफ़लता हासिल करने में तो सफल नहीं रही लेकिन अमिताभ ने अपने इस फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में ‘सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक’ का पुरस्कार जीता. इसके बाद वर्ष 1971 में वे फिल्म ‘आनंद’ में नजर आये. इस फिल्म में उन्होंने एक सहायक कलाकार की भूमिका निभाई. इस फिल्म के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.
इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘परवाना (1971)’ में काम किया. उन्होंने फिल्म ‘रेशमा और शेरा’, ‘गुड्डी’, ‘बॉम्बे टू गोवा’ और ‘बावर्ची’ जैसी फिल्मों में काम किया. ये समय अमिताभ के संघर्ष का समय था. यह सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही. इसके बाद उन्होंनें वर्ष 1973 में प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘जंजीर’ में इंस्पेक्टर विजय के रूप में उभरे. इस फिल्म ने उनके करियर को नया मोड़ दिया.
मेगास्टार बनना
फिल्म ‘जंजीर’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और अमिताभ के करियर में एक नया मोड़ आया. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दी. इन फिल्मों में ‘अभिमान’, ‘सौदागर’, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’, ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘डॉन’, ‘लावारिस’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘नमक हलाल’, ‘कूली’, ‘आक्रोश’, ‘चीनी कम’, ‘निशब्द’, ‘सरकार राज’, ‘ब्लैक’ और ‘पा’ जैसी फिल्में शामिल है. इन फिल्मों से अमिताभ ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई.
1979 में पहली बार अमिताभ को फिल्म ‘मि. नटवरलाल’ के लिए अपनी सहयोगी कलाकार रेखा के साथ काम करते हुए गीत गाने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करना पड़ा. फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पुरुष पार्श्वगायक का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार मिला. 1973 ही वह साल था जब अमिताभ ने ३ जून को जया से विवाह किया और शादी के एक महीने बाद ही फिल्म ‘अभिमान’ रिलीज हो गई थी जिसमें दोनों ने मुख्य भूमिका निभाई थी.
राजनीति में जाना और वापसी
वर्ष 1984 में थोड़े समय के लिए अभिनय छोड़कर अमिताभ अपने मित्र राजीव गांधी का समर्थन करते हुए राजनीति के क्षेत्र में आ गये. उन्होंने इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एच.एन. बहुगुणा को आम चुनाव हराया था. तीन साल बाद उन्होंने अचानक राजनीति से अपने पावं खींच लिये. इस त्याग के पीछे उनके भाई का बोफोर्स विवाद था. उन्हें इस मामले में अदालत भी जाना पड़ा जहां वे निर्दोष पाये गये.
वर्ष 1988 में उन्होंने फिर फिल्मों में काम करना शुरू किया. उन्होंने फिल्म ‘शहंशाह’ में काम किया और उनकी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही. इसके बाद उन्होंने कई और फिल्मों में काम किया जो असफल रही. इसके बाद 1991 में उन्होंने सुपरहिट फिल्म में काम किया. फिल्म ‘अग्निपथ’ में माफिया डॉन की यादगार भूमिका के लिए उन्हें ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ जीता. वर्ष 2000 में टेलीविजन शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ को उन्होंने होस्ट किया और इस शो ने उनके करियर को एक नई उड़ान दी.
बुरे दिन
अमिताभ की कंपनी एबीसीएल के फेल हो जाने के कारण अमिताभ को आर्थिक संकट की मार झेलनी पड़ी. ऐसे समय में उनके पुराने मित्र अमर सिंह ने उनकी मदद की. इसके बाद अमिताभ ने अमर सिंह की राजनीतिक पार्टी को सहयोग देना शुरू कर दिया. वहीं उनकी पत्नी जया बच्चन ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली. मुसीबतें अभी खत्म नहीं हुई थी अमिताभ को झूठे दावों के सिलसिले में अदालत जाना पड़ा.
लोक कल्याण के कार्य
अमिताभ को वर्ष 2005 में यूनेसेफ ने पोलियो मिटाओ अभियान के लिए ग्लोबल एंबेस्डर के तौर पर अपने साथ जोड़ा था. उनके प्रचार अभियान ने देश को पोलियो मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई. पोलियो जागरूकता अभियान में अमिताभ के योगदान के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया था.
आपको बता दें कि हाल ही में अमिताभ बच्चन को हेपेटाइटिस बी कैंपेन के लिए का ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त किया गया है. अब वह लोगों को हेपेटाइटिस बी के बारे में जागरूक करते नजर आयेंगे. वे गुजरात पर्यटन विभाग के ब्रांड एंबेसेडर भी है.