लखनउ : बॉलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर जल्द ही कृत्रिम पैर होने के बावजूद चट्टानी इरादों की बदौलत दुनिया की सबसे उंची पर्वत चोटी एवरेस्ट को फतह करने वाली दुनिया की पहली महिला अरणिमा सिन्हा के बेजोड संघर्ष की कहानी रुपहले पर्दे पर उतारेंगे. फरहान ने यह फिल्म बनाने के लिये इस पद्मश्री पर्वतारोही के सामने पेशकश रखी है, जिसे उन्होंने मंजूर भी कर लिया है.
अरणिमा ने कहा कि,’ फरहान ने गत सोमवार को लखनउ स्थित उनके घर पर उनसे मुलाकात की और सिफर से शिखर तक को समेटे उनकी जिंदगी पर फिल्म बनाने की पेशकश की. इस प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है.
उन्होंने कहा,’ फरहान ने कहा है कि वह इस फिल्म का निर्देशन खुद करेंगे. वह इस फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित हैं. इसके लिये उन्होंने गत 20 अप्रैल को ट्वीट के जरिये मुझसे सम्पर्क किया था लेकिन उस वक्त मैं आस्ट्रेलिया में थी. अब मौका मिलने पर वह मुझसे मुलाकात करने आये थे.’
अरणिमा ने बताया कि फरहान उनके जीवन संघर्ष की कहानी से बेहद प्रभावित हैं. उनकी किताब ‘बॉर्न अगेन ऑन द माउंटेन’ ने उन्हें झकझोर दिया है. इसी वजह से वह उनकी जिंदगी को रुपहले पर्दे पर उतारना चाहते हैं, ताकि लोग उनसे उसी तरह प्रेरणा ले सकें, जैसा कि ‘भाग मिल्खा भाग’ फिल्म के जरिये मिल्खा सिंह जैसे महान एथलीट के बारे में दुनिया ने करीब से जाना-समझा और प्रेरणा ली.
अप्रैल 2011 में बरेली के पास बदमाशों द्वारा ट्रेन से फेंके जाने के कारण अपना बायां पैर गंवाने के बाद दुनिया को चौंकाते हुए कृत्रिम पैर के सहारे 21 मई 2013 को एवरेस्ट फतह कर विश्व रिकार्ड बनाने वाली अरणिमा ने कहा कि उन्होंने फरहान के सामने शर्त रखी है कि वह फिल्म की रॉयल्टी लेंगी लेकिन उसे खुद पर नहीं बल्कि उन्नाव में विकलांग खिलाडियों के लिये बन रही अपनी खेल अकादमी के लिये खर्च किया जाएगा.
अरणिमा ने कहा कि,’ फरहान ने इस पर रजामंदी जाहिर करते हुए उन्हें और सोच-विचार करने का वक्त दे दिया है. अब आगामी 25 मई को मुम्बई में उनकी किताब के मराठी संस्करण के विमोचन के मौके पर फरहान उन्हें मुम्बई में अपने निर्माता साथी रितेश से मिलवाएंगे और फिर फिल्म के बारे में सारी चीजों को अंतिम रुप दे दिया जाएगा.
कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की पहली महिला ने कहा,’ मिल्खा सिंह जी ने अपनी जिंदगी पर बनी फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ बनाने के लिये उसके निर्माता से मात्र एक रुपये रॉयल्टी ली थी लेकिन मेरे जीवन का उद्देश्य बिल्कुल अलग है और मैं अपने जीवन संघर्ष पर बनने वाली फिल्म की रॉयल्टी को अपनी एकेडमी के प्रति समर्पित करना चाहूंगी, ताकि मेरे बाद भी उसका फायदा एकेडमी में प्रशिक्षण लेने वाले विकलांग खिलाडियों को मिलता रहे.’
अरणिमा ने एक सवाल पर कहा कि फरहान ने उन्हें फिल्म में फिलहाल कोई भूमिका निभाने का प्रस्ताव नहीं दिया है. अगर देंगे, तो भी वह उसे निभा नहीं पाएंगी, क्योंकि कोई भी शख्स हर चीज के लिये नहीं बना होता है.
आगामी दिसम्बर में दक्षिण अमेरिका के अकांका गोवा पर्वत पर आरोहण की तैयारी कर रही पद्मश्री पर्वतारोही अरणिमा का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा है. मूल रुप से उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर की निवासी और कभी वालीबाल की खिलाडी रही अरणिमा को 11 अप्रैल 2011 को ट्रेन में लूटपाट कर रहे बदमाशों ने चलती ट्रेन से फेंक दिया था. इसी बीच दूसरी लाइन पर आ रही ट्रेन की चपेट में आने से उनका बायां पैर कट गया था.
तत्कालीन केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन की पहल पर अरणिमा को दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था. बायां पैर कट जाने से मायूस होने के बजाय उन्होंने अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कृत्रिम पैर के सहारे दुनिया की सबसे उंची पर्वत चोटी एवरेस्ट पर चढने का लगभग असम्भव सा लक्ष्य हासिल करने का इरादा किया और 21 मई 2013 को उन्होंने कामयाबी के इस शिखर को छूकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया.