II उर्मिला कोरी II
फिल्म: वेलकम टू कराची
निर्माता: वासु भगनानी
निर्देशक: आशीष आर मोहन
कलाकार: अरशद वारसी, जैकी भगनानी, लॉरेन और अन्य
रेटिंग: दो
‘वेलकम टू कराची’ पाकिस्तान पर एक और बॉलीवुड फिल्म की अगली कड़ी हैं. पाकिस्तान के मौजूदा परिदृश्य पर व्यंगात्मक नजरिए रखने की सोच थी लेकिन हकीकत में कहानी कहीं और जाती नजर आती है. फिल्म की कहानी दो दोस्तों की हैं. शम्मी ( अरशद वारसी) और केदार पटेल( जैकी भगनानी) की.
दोनों गुजरात के जामनगर में रहते हैं. केदार का सपना अमेरिका जाने का है लेकिन वह पाकिस्तान के करांची पहुंच जाते हैं. उसके बाद शुरु होता है. बम धमाके,गोलियां की बौछारें और अजीबोगरीब सिचुएशन. जिनसे सर में दर्द होने लगता है.फिल्म के सिचुएशन पाकिस्तान पर बनी कई पुरानी फिल्मों की याद दिलाते हैं तो कॉमेडी का स्तर एकदम घिसा पिटा है.
ऐसे कॉमिक डायलॉग जो अब तक कई बार सुन चुके हैं. फिल्म कॉमेडी कम बेवकूफी भरी ज़्यादा लगती है. फर्स्ट हाफ के बाद फिल्म और ज्यादा भटक जाती हैं. फिल्म में पाकिस्तान के लोगों को मारकाट पर आतुर दिखाया है. वहां गोलियां आलू के भाव में मिलती है. यह बात भी अजीब लगती है.
फिल्म के क्लाइमेक्स बेहद कमजोर हैं हां रियल दृश्यों के साथ उनका संयोजन अच्छे से किया गया है. अभिनय की बात करें जैकी अपनी पिछली फिल्मों से बेहतर जरुर लगें हैं. उन्होंने गुजराती स्टाइल की संवाद अदाएगी को पूरी फिल्म में बरकरार रखा गया है लेकिन कुछ देर बाद वह बोर मारने लगता है. अरशद को कॉमेडी में महारत हासिल हैं लेकिन इस फिल्म में चूकते नजर आएं हैं.
लॉरेन के लिए फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था. वह गिने चुने दृश्य में नजर आयी है हालांकि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ब्यूरों के ऑफिसर के तौर पर उन्होंने अपने सीन के साथ न्याय करने की कोशिश की है.अन्य किरदार ठीक ठाक नजर आएं हैं. संगीत की बात करें तो फिल्म में जरुरत से ज्यादा गीत भरे गए हैं. जो फिल्म की गति को धीमा कर देते हैं. कुल मिलाकर अगर आपको यह फिल्म झेलनी है तो अपने घर पर अपना दिमाग रख थिएटर में जाएं.